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पीएम आवास योजना 2.0 में बीएलसी घटक: अपनी जमीन पर मकान बनाने वालों को 2.5 लाख रुपए, पांच बार जियो टैगिंग अनिवार्य

भोपाल 

प्रधानमंत्री आवास योजना-2.0 के तहत अब शासन की सहायता से मकान निर्माण में फर्जीवाड़े की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी। बेनीफिशियरी लेड कंस्ट्रक्शन (बीएलसी) घटक के अंतर्गत बनने वाले आवासों की निगरानी अब भारत सरकार द्वारा विकसित जियो टैगिंग ऐप से की जाएगी। पहले जहां केवल एक बार जियो टैगिंग होती थी, अब मकान निर्माण के अलग-अलग चरणों में पांच बार जियो टैगिंग अनिवार्य कर दी गई है। इसके बाद ही अनुदान की राशि हितग्राही के खाते में जारी होगी।

हितग्राही को मिलेंगे 2.5 लाख रुपए

नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अनुसार, पीएम आवास-2.0 में बीएलसी घटक के तहत अपनी जमीन पर मकान बनाने वाले हितग्राही को कुल 2.5 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इसमें 1.5 लाख रुपए केंद्र सरकार और 1 लाख रुपए राज्य सरकार की ओर से मिलेंगे। यह सहायता केवल नए मकान के निर्माण के लिए होगी। मकान के विस्तार या नवीनीकरण के लिए अनुदान नहीं मिलेगा। जियो टैगिंग के माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वास्तव में नया मकान ही बनाया जा रहा है।

यह होगा लाभ

-फर्जीवाड़े पर प्रभावी रोक

-अनुदान का पारदर्शी उपयोग

-निर्माण की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित

-हितग्राहियों को समय पर सहायता

-शासन स्तर पर बेहतर निगरानी
ये नए प्रावधान

-मकान निर्माण के पांच चरणों में अनिवार्य जियो टैगिंग

-केवल नए मकान के लिए अनुदान, विस्तार या मरम्मत पर रोक

-निर्माण की प्रगति के आधार पर किश्तों में राशि जारी

-12 माह में निर्माण पूरा करना अनिवार्य

-तय समय सीमा में काम न होने पर नोटिस और सरेंडर की कार्रवाई
हर तीन माह में होगी जियो टैगिंग

अधिकारियों के अनुसार बीएलसी घटक के आवासों की हर तीन माह में जियो टैगिंग कराई जाएगी। पहली बार खाली प्लॉट की, इसके तीन माह बाद फाउंडेशन या प्लिंथ लेवल की, 6 महीने बाद लिन्टेल लेवल की, 9 माह बाद रूफ लेवल की और 12 महीने बाद मकान पूरा होने की जियो टैगिंग की जाएगी।

टैगिंग की प्रगति पर पहली किश्त काम शुरू होने पर 1 लाख, उसके बाद फिर अलग-अलग चरणों पर मिलेगी। यदि हितग्राही 3 माह में निर्धारित स्तर का निर्माण पूरा नहीं कर पाता है तो निकाय नोटिस जारी करेगा। यदि 15 माह में भी निर्माण पूर्ण नहीं होने पर 3 माह की मोहलत अंतिम नोटिस के रूप में दी जाएगी। 18 महीने में भी काम पूरा नहीं होने पर आवास सरेंडर कराया जाएगा।

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