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मानसिक रोगियों को बिजली के झटके देना बंद, विद्युत झटकों की बजाय अब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के माध्यम से इलाज

इंदौर
बाणगंगा स्थित मानसिक चिकित्सालय में अब मानसिक रोगियों का इलाज पारंपरिक तरीकों की जगह आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा पद्धति से किया जा रहा है। यहां विद्युत झटकों की बजाय अब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के माध्यम से इलाज किया जाता है। इसके साथ ही म्यूजिक थेरेपी, डांस, गायन और रचनात्मक गतिविधियों के जरिये मरीजों का मानसिक उपचार किया जा रहा है। गेम्स खिलाकर भी रोगियों की मानसिक स्थिति का आकलन किया जाता है। इन उन्नत तकनीकों और पद्धतियों की वजह से यह संस्थान एक मॉडल मानसिक चिकित्सालय के रूप में उभर कर सामने आया है, जहां अत्याधुनिक मशीनें भी उपलब्ध हैं।

डीन ने किया चिकित्सालय का निरीक्षण  
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद यंघोरिया ने मानसिक चिकित्सालय का दौरा किया और यहां की सुविधाओं का जायजा लिया। प्रभारी डॉक्टर वी.एस. पाल ने जानकारी दी कि पहले गंभीर मानसिक रोगियों का इलाज बिजली के झटकों से किया जाता था, जिसमें मरीज को कुर्सी से बांधकर इलाज किया जाता था। लेकिन अब इस पुरानी पद्धति को छोड़ते हुए इलेक्ट्रो-कन्वल्सिव थेरेपी (ईसीटी) की आधुनिक तकनीक अपनाई गई है, जो विद्युत चुम्बकीय तरंगों के माध्यम से होती है और अधिक सुरक्षित व प्रभावी मानी जाती है।

टेली मानस सेवा से चौबीसों घंटे मुफ्त परामर्श  
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए इंदौर के बाणगंगा स्थित मानसिक चिकित्सालय में टेली मानस सेवा भी उपलब्ध है, जो 24 घंटे निशुल्क परामर्श प्रदान करती है। मरीज या उनके परिजन टोल फ्री नंबर 14416 या 1800-891-4416 पर कॉल कर इस सेवा का लाभ ले सकते हैं। अस्पताल के ऑक्यूपेशनल थेरेपी कक्ष में मरीजों को कागज से फूल, दीये और ग्रीटिंग कार्ड जैसे रचनात्मक आइटम बनाने को प्रोत्साहित किया जाता है। इन गतिविधियों से रोगियों में रचनात्मकता के साथ-साथ मानसिक सुधार भी तेजी से होता है।

म्यूजिक और गेम्स से मिल रहा मानसिक संतुलन
चिकित्सालय में म्यूजिक थैरेपी के माध्यम से भी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। गायन और नृत्य के दौरान मरीजों की शारीरिक भाषा और चेहरे के भावों से उनकी मानसिक स्थिति को समझा जाता है। डॉक्टर पाल के अनुसार, म्यूजिक थैरेपी के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके साथ ही, स्टाफ की निगरानी में मरीजों को विभिन्न गेम्स भी खिलाए जाते हैं, जिससे उनकी मानसिक एकाग्रता और स्थिरता में सुधार होता है। ये नवाचार मरीजों को न सिर्फ उपचार देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन की ओर भी वापस लाते हैं।

 

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