गंगा तट पर भव्य प्रतिमा और बोटहाउस कैंप! बिहार के धार्मिक पर्यटन को मिला नया आयाम
पटना
बिहार की पहचान अब केवल इतिहास और परंपराओं तक सीमित नहीं रहने वाली है! बल्कि ये आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को संजोने की दिशा में आगे बढ़ रही है। नीतीश सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। जिसका नतीजा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने एक साथ कई बड़े धार्मिक-पर्यटन प्रोजेक्ट्स की नींव रखी है। जो आने वाले समय में बिहार के पर्यटन मानचित्र को नई ऊंचाई देंगे।
सोन नदी के किनारे स्थापित होगी महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा
इसी चरण में बक्सर जिले में “महर्षि विश्वामित्र पार्क” के निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है। इसका शिलान्यास पर्यावरण मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने किया था। सोन नहर के किनारे विकसित होने वाला यह पार्क न केवल बक्सर की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करेगा बल्कि आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भी होगा। यहां वॉकिंग ट्रैक, ओपन जिम, योगा पार्क, एम्फीथिएटर, जेन गार्डन, बच्चों का जोन और ग्रामीण हाट जैसी सुविधाएं होंगी। सबसे खास आकर्षण होगा गंगा तट पर स्थापित महर्षि विश्वामित्र की भव्य प्रतिमा और “सिद्धाश्रम म्यूजियम” होगा।
धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित होगा बाबा गुप्ताधाम
इसके अलावा रोहतास जिले के पौराणिक बाबा गुप्ताधाम में भी 14.91 करोड़ की लागत से ईको-पर्यटन का विकास किया जा रहा है। जहां लोग शहर के शोर शराबे से दूर शांति की तलाश में आ सकेंगे। यहां श्रद्धालुओं को धर्मशाला, फूड कोर्ट, शौचालय और सोलर एनर्जी से संचालित सुविधाएं मिलेंगी। इतना ही नहीं, धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए यहां शिवलिंग का लाइव टेलीकास्ट भी एक बड़े एलईडी स्क्रीन पर होगा।
मां मुण्डेश्वरी धाम परिसर का होगा जीर्णोद्धार
कैमूर जिले में भी बिहार सरकार बड़े पैमाने पर धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से विकास कर रही है। कैमूर के मां मुण्डेश्वरी धाम परिसर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वहीं, दुर्गावती जलाशय स्थित करमचट डैम में नया कश्मीर बसाने की कोशिश की जा रही है। यहां बिहार का पहला बोटहाउस कैंप बनाया जा रहा है। जहां लोग पानी की लहरों के बीच सुंदर वादियों और एक दर्जन झरनों का आनंद ले पाएंगे। जो पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बन जाएगी।
राजगीर की सफलता के बाद उत्साहित सरकार
बिहार प्राचीन काल से से धार्मिक और पर्यटन का केंद्र रहा है। जो हमेशा स्थायी है। ऐसे में डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि “लोगों की आस्था से जुड़ी जगहों को विकसित करना हमारी प्राथमिकता में है। राजगीर में जो सफलता मिली है, उसी को देखते हुए अब कई जिलों में इस तरह का काम किया जा रहा है।”