कामिका एकादशी: वंश वृद्धि और पितृ तृप्ति का ये है शुभ अवसर

स्कंद पुराण में वर्णन है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त हो सकता है, विशेष रूप से क्रोध, ईर्ष्या और छल से जुड़े पापों का नाश होता है। कामिका एकादशी पर किया गया व्रत और दान-पुण्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वंश में शुभता आती है।

कामिका एकादशी व्रत करने वालों को विशेष सुझाव
इस एकादशी पर तुलसी दल से भगवान विष्णु का पूजन अवश्य करें।
शिव-पार्वती की एक साथ पूजा करने से पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठ करें।

कामिका एकादशी व्रत विधि
एक दिन पूर्व (दशमी) को सात्विक भोजन कर लें और काम-क्रोध से बचें।
प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा करें, विशेष रूप से शंख, चक्र, गदा, पद्मधारी रूप में।
तुलसी पत्र, पंचामृत, धूप, दीप से पूजा करें।
दिन भर व्रत रखें, निर्जल या फलाहार।
रात्रि जागरण करें, भजन-कीर्तन आदि करें।
द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें, ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर।

कामिका एकादशी दान
काले या सफेद तिल का दान करने से पितृ तृप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त दूध, दही, घी, फल, चीनी का दान भी किया जा सकता है।

कामिका एकादशी व्रत कथा
मान्यतानुसार इस एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने धर्मराज को सुनाई थी। इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनायी थी। जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति प्राप्त हुई। पुराणों के अनुसार, एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस व्रत के महत्व के बारे में पूछा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि यह व्रत काम, क्रोध, लोभ और मोह को नष्ट करने वाला है।

एक गांव में एक क्रोधित ब्राह्मण ने क्रोधवश एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या कर दी। वह ब्रह्महत्या के पाप से बहुत दुखी हुआ। तब उसे एक ऋषि ने कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। व्रत के प्रभाव से वह ब्राह्मण पापमुक्त हुआ और परम गति को प्राप्त हुआ।

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