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आरोपी और पीड़िता के बीच सहमति से यौन संबंध बने थे, नहीं थे कोई सबूत, हाईकोर्ट ने आरोपी को किया बरी

रायपुर
छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को रेप और POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में नाबालिग होने के पर्याप्त सबूत नहीं थे और यह भी माना कि आरोपी और पीड़िता के बीच सहमति से यौन संबंध बने थे। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपी को रिहा कर दिया।

बता दें कि यह मामला 2018 में हुआ था, जब 12 जुलाई को पीड़िता के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि उनकी बेटी 8 जुलाई को अपनी दादी से मिलने के लिए घर से निकली थी, लेकिन वह वहां नहीं पहुंची। इसके बाद पड़ोसियों से जानकारी मिली कि पीड़िता और आरोपी को एक साथ देखा गया था। आरोपी उसी दिन से लापता था और 18 जुलाई को दोनों को एक साथ पाया गया।

ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में ‘फर्स्ट क्लास मार्कशीट’ को प्रमाण मानते हुए यह मान लिया था कि पीड़िता नाबालिग थी। इस मार्कशीट में पीड़िता की जन्म तिथि 10 अप्रैल, 2001 दर्ज थी। इसके आधार पर आरोपी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(n) और POCSO एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया गया था। हालांकि, आरोपी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस सबूत को नकारते हुए कहा कि यह पर्याप्त नहीं है कि पीड़िता नाबालिग थी। कोर्ट ने यह भी माना कि पीड़िता और आरोपी के बीच सहमति से यौन संबंध बने थे। अदालत ने यह भी बताया कि डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीड़िता के शरीर और निजी अंगों पर किसी प्रकार की बाहरी या आंतरिक चोट नहीं पाई गई। इसके अलावा, डॉक्टर ने यह भी कहा कि पीड़िता के सेकेंडरी सेक्सुअल ऑर्गन पूरी तरह से विकसित थे, जो यह दर्शाता है कि वह यौन संबंधों के लिए आदी थी। अंत में, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि पीड़िता ने सहमति दी थी और आरोपी को पहले ही लगभग छह साल की सजा हो चुकी थी। न्यायालय ने इस आधार पर आरोपी को रिहा कर दिया।

 

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