‘कोरोना वैक्सीन और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं’, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली

कोविड-19 वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों को लेकर जो डर और सवाल थे, अब उन पर जवाब मिल गया है. ICMR और AIIMS की नई स्टडी में साफ कहा गया है कि भारत में वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों की वजह वैक्सीन नहीं, बल्कि पहले से मौजूद बीमारियां, खराब जीवनशैली और शरीर की बनावट (आनुवांशिक कारण) हैं. यानी अगर किसी को दिल की बीमारी, शुगर या हाई ब्लड प्रेशर पहले से है और इलाज सही नहीं हुआ तो मौत का खतरा बढ़ सकता है. इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है. स्टडी से ये भी साफ हुआ है कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और लोगों को इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है.

स्टडी से क्या चला पता?

स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. ज्यादातर मामलों में मौत की वजह पहले से मौजूद बीमारियां, आनुवांशिक कारण और अस्वस्थ जीवनशैली रही. साथ ही वैक्सीन से होने वाले गंभीर दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं. विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के युवाओं में अचानक हुई मौतों की जांच के लिए दो अहम रिसर्च स्टडीज की गई हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि युवाओं में हो रहे हार्ट अटैक और कोरोना वैक्सीन के बीच कोई लिंक नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि आईसीएमआर की ओर से की गई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच किसी लिंक का पता नहीं चला है. 

यह स्टडी देश के 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई थी. यह स्टडी ऐसे लोगों पर की गई, जो पूरी तरह से स्वस्थ थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच उनकी अचानक मौत हो गई. स्टडी से पता चला कि कोरोना वैक्सीन की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है. युवाओं की अचानक हो रही मौतों का इससे कोई कनेक्शन नहीं है.

यह स्टडी ऐसे समय में सामने आई है जब देशभर में युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही मौतों के मामले बढ़े है. आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल अचानक हो रही इन मौतों के पीछे का कारण समझने की दिशा में काम कर रही है. इस स्टडी में जीवनशैली और पूर्व की स्थितियों को अचानक हो रही मौतों का प्रमुख कारण माना गया है.

सिद्धारमैया के बयान के एक दिन बाद स्टडी हुई सार्वजनिक

आईसीएमआर और एम्स की इस स्टडी को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस बयान के एक दिन बाद सार्वजनिक किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को जल्दबाजी में दी गई मंजूरी  और उसका डिस्ट्रीब्यूशन राज्य में युवाओं की अचानक हो रही मौतों का कारण हो सकता है.

उन्होंने कोरोना वैक्सीन के संभावित साइट इफैक्ट की स्टडी के लिए एक पैनल के गठन करने का भी ऐलान किया था. 

कर्नाटक के सीएम के बयान पर सरकार की सफाई
दरअसल कर्नाटक के हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने से कई युवाओं की मौत हुई है, जिसके बाद कर्नाट के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने एक बयान में दिल का दौरा पड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार बताया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके दावे को खारिज कर दिया है। सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई और फिर तेजी से वैक्सीन का वितरण किया गया, ऐसे में हो सकता है कि अचानक हो रही मौतों की वजह कोरोना वैक्सीन भी हो सकती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि 'अगर किसी को भी सीने में दर्द, या सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में अपना चेकअप कराएं और लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।'

सरकार ने कहा- अचानक मौत होने के कई कारण
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अचानक हो रहीं मौतों की देश की विभिन्न एजेंसियों ने जांच की है और जांच में पाया गया है कि इनका कोरोना वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं हैं। आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी अपने अध्ययन में इसकी पुष्टि की है। सरकार ने कहा कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी है और इसके दुर्लभ ही किसी पर गंभीर परिणाम दिखे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अचानक हो रही मौतों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जेनेटिक्स, हमारा रहन-सहन और दिनचर्या, पहले से कोई बीमारी और कोरोना संक्रमित होने के बाद की दिक्कतें शामिल हैं। 

आईसीएमआर और एनसीडीसी ने 18 से 45 साल के लोगों के बीच अध्ययन किया। यह अध्ययन मई 2023 से लेकर अगस्त 2023 तक 47 क्षेत्रीय अस्पतालों और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। इस अध्ययन में उन लोगों की जांच की गई जो अक्तूबर 2021 से लेकर मार्च 2023 के बीच अचानक मौत का शिकार हुए। अध्ययन में पता चला कि इन अचानक मौतों का कोरोना वैक्सीन से संबंध नहीं है। अब एम्स द्वारा भी ऐसा ही एक अध्ययन किया जा रहा है, जिसकी फंडिंग आईसीएमआर द्वारा की गई है।  

अध्ययन में पाया गया है कि जेनेटिक म्यूटेशन के चलते दिल का दौरा पड़ने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। अभी अध्ययन चल रहा है और इसके पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। सरकार ने चेताया कि जो दावे किए जा रहे हैं, वे आधारहीन हैं और इनसे आम जनता का कोरोना वैक्सीन में विश्वास कमजोर होगा, जबकि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बची थी। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सीएम ने दावा किया कि बीते महीने में हासन जिले में 20 से ज्यादा लोगों की मौत अचानक हुई है। 

 

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