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सुप्रीम कोर्ट ने SIR विवाद सुलझाया, 19 अगस्त तक नामों की लिस्ट का ऐलान होगा

नई दिल्ली 
बिहार में वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम चुनाव आयोग अब जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में वोटर लिस्ट के SIR के खिलाफ दर्ज याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। बेंच ने कहा कि आयोग 19 अगस्त तक उन 65 लाख लोगों के नाम उजागर करे, जिन्हें वोटर लिस्ट से हटाया गया है। इसके अलावा 22 अगस्त तक इस आदेश के पालन की रिपोर्ट भी सौंपे। सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने मृत, जिला स्तर पर पलायन कर चुके या दूसरे स्थानों पर जा चुके मतदाताओं की सूची साझा करने पर सहमति जताई।

अगली सुनवाई अदालत में अब 23 अगस्त को होगी। बेंच ने यह भी कहा कि जिन लोगों के नाम गलत तरीके से हटे होंगे, उन्हें सुनवाई के लिए 30 दिन का मौका मिलेगा। इसके अलावा आयोग यह भी बताएगा कि इन लोगों के नाम क्यों लिस्ट से हटाने का फैसला लिया गया है। यदि किसी को आपत्ति होगी तो वह संपर्क करेगा और जरूरी दस्तावेज देने के बाद उनके नामों को शामिल किया जा सकेगा।

अदालत ने कहा कि आप वेबसाइट और स्थान के विवरण के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने पर विचार करें, जहां लोगों (मृत, पलायन कर चुके या दूसरे स्थानों पर चले गये) की जानकारी साझा की जा सके। इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि हमने राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को मृत, पलायन कर चुके या दूसरे स्थानों पर चले गये लोगों के नामों की सूची दी थी। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय बागची की बेंच ने कहा कि हम नहीं चाहते कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर रहें।

अदालत ने कहा- लोगों को गलतियां सुधारने का मौका मिलेगा
बेंच ने कहा कि मृत, पलायन कर चुके या दूसरे स्थानों पर चले गये मतदाताओं के नामों को नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर प्रदर्शित करने से अनजाने में हुई त्रुटियों को सुधारने का मौका मिलेगा। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को मृत, पलायन कर चुके या दूसरे स्थानों पर चले गये लोगों के नामों की सूची दी गई है।

बेंच बोली- आप वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते सारे नाम
बेंच ने कहा कि आप इन नामों को नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? जिन्हें दिक्कत है वह लोग 30 दिन के भीतर सुधारात्मक उपाय कर सकते हैं। इस पर इलेक्शन कमिशन ने कहा कि बिहार में एक मोटे अनुमान के मुताबिक लगभग 6.5 करोड़ लोगों को एसआईआर के लिए कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

 

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