Headlines

हाई कोर्ट ने अश्लील कंटेंट पर चिंता जताई, याचिका में सरकार से कार्रवाई की मांग की, केंद्र सरकार से नियम बनाने को कहा

ग्वालियर
एमपी हाई कोर्ट (MP High Court) की युगल पीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम स्नैपचैट यूट्यूब और गूगल को पक्षकार बनाने का आदेश दिया। सोशल मीडिया पर फैली अश्लीलता रोकने के संबंध में अनिल बनवारिया ने पीआइएल दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं, जिससे हर वर्ग पर प्रभाव पड़ रहा है। इन वीडियो पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन को पार्टी बनाने के आदेश दिए।

केंद्र बताए नियम
हाईकोर्ट (ग्वालियर) कोर्ट ने केंद्र सरकार (Union Government) के वकील को कहा कि सोशल मीडिया पर फैली अश्लीलता रोकने पर केंद्र सरकार क्या-क्या कर सकती है। क्या नियम लागू किया जा सकते हैं? क्या कोई नियम बनाए गए हैं? इसकी जानकारी पेश करें।

इसको लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में  हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार, सूचना प्रसारण मंत्रालय और कई इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों के अलावा मध्य प्रदेश शासन को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए।

केंद्र से हाईकोर्ट के सवाल

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता से पूछा कि इंटरनेट मीडिया पर अश्लील कंटेंट की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार क्या-क्या कर सकती है? क्या नियम लागू किए जा सकते हैं? इसके संबंध में अब तक क्या कोई नियम बनाए गए हैं? मामले की सुनवाई अब तीन मार्च को होगी।

अश्लील कंटेंट से यूजर्स पर पड़ रहा गलत प्रभाव

    ग्वालियर निवासी अनिल बनवारिया की ओर से हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि स्नैपचैट, फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर बेहद अश्लील व आपत्तिजनक सामग्री वाले फेक रील्स व शॉर्ट्स वीडियो धड़ल्ले से वायरल हो रहे हैं।

    इससे समाज का हर वर्ग खासकर बच्चे और युवा दिग्भ्रमित होकर न केवल अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि आपराधिक क्रियाकलापों में भी लिप्त हो रहे हैं।
    याचिका में यह भी कहा कि भारत में दंडात्मक प्रविधान होने के बावजूद ऐसी अश्लील पोस्टों पर न तो कोई रोक है और न ही कोई नियंत्रण हैं।

    भारत सरकार कभी-कभार इस संबंध में चिंता व्यक्त करती है, लेकिन अश्लीलता फैलाने वाले इंटरनेट मीडिया के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई करती है, न ही अश्लील पोस्टों को कंट्रोल करने के लिए कोई दिशा निर्देश जारी करती है।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *