कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए पति को भरण-पोषण राशि देनी ही होगी, भले ही पत्नी कमाती क्यों न हो

इंदौर
अपने पति से विवाद के बाद बच्चों को लेकर अलग रहने वाली पत्नी ने भरण-पोषण की राशि के लिए कुटुंब न्यायालय में परिवाद लगाया. पत्नी ने फरियाद की कि पति से उसे भरण-पोषण की राशि नियम के अनुसार मिलनी चाहिए. क्योंकि बच्चे उसके पास हैं. उसने पति के साथ रहने की काफी कोशिश की लेकिन वह न तो मुझे और न ही बच्चों को साथ रखना चाहता है.

दंपती के दो बच्चे हैं, 8 साल से विवाद

मामले के अनुसार महिला ने अपने एडवोकेट रघुवीर सिंह रघुवंशी के माध्यम से पति संदीप से हर महीने भरण पोषण के रूप में एक तय रकम देने की मांग की. इसके लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद लगाया गया. इसमें बताया गया "उसकी शादी संदीप से 11 मार्च 2012 में हुई थी. उसके दो बच्चे हैं. बेटी की उम्र 12 साल और बेटे की उम्र 10 साल है. शादी के बाद से ही छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होने लगा. 2017 में विवाद इतना बढ़ गया कि पति ने उसकी पिटाई कर दी."

पति ने बताया- पत्नी हर माह 20 हजार कमाती है

महिला ने बताया "पिटाई के दौरान बीचबचाव करने आए बेटे को भी धक्का दे दिया गया. वह सीढ़ियों से गिर गया और उसके सिर पर भी चोट आई. लेकिन पति ने उसका इलाज न करवाते हुए उसे और दोनों बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया. इसके बाद पति ने दूसरी शादी भी कर ली." कोर्ट में सुनवाई के दौरान पति की ओर से दलील दी गई "पत्नी ₹20 हजार प्रति माह कमाती है और वह बच्चों के साथ खुद का भी भरण पोषण कर सकती है."

जब से पति-पत्नी अलग हुए, तभी से देनी होगी राशि

पत्नी ने कोर्ट को बताया "उसका पति इंजीनियर है और हर महीने 75 हजार रुपए प्रति महीने कमाता है." कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आदेश दिया "पति हर महीने अपनी बड़ी बेटी को ₹15000 और बेटे को ₹7000 महीने की 10 तारीख को दे. ये राशि बच्चों की मां मां के पास जाएगी." कोर्ट ने ये भी कहा कि जिस दिन पति-पत्नी अलग हुए थे, उसी दिन से ये राशि देनी होगी. यदि पति ने बीच में कोई राशि पत्नी और बच्चों को दी है तो इसे समायोजित किया जा सकता है. 

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