देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी रहस्यमयी कहानियां हैं. उन्हीं में से एक है झरणी नरसिंह मंदिर. ये कर्नाटक के बीदर जिले में स्थित है. यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. बताया गया है कि इस मंदिर में भगवान नरसिम्हा विष्णु के चौथे अवतार के रूप में विराजमान हैं, जोकि आधे मनुष्य और आधे सिंह के स्वरूप में हैं. मंदिर सुबह आठ बजे भक्तों के लिए खुल जाता है और शाम 6 बजे तक दर्शन होते हैं.
बीदर शहर इस मंदिर से एक किलोमीटर दूर है. ये 300 मीटर लंबी गुफा में बना हुआ है, जिसमें श्रद्धालु दर्शन के लिए प्राकृतिक झरने वाले पानी से होकर गुजरते हैं, जो इसे एक अद्भुत और पवित्र स्थान बनाता है. मंदिर मणिचूला पहाड़ी के नीचे स्थित है, यही वजह है कि यहां से पानी का प्रवाह कभी रुकता नहीं है.
नरसिंह मंदिर के रहस्यलोक की कहानी
शास्त्रों के मुताबिक, नरसिंह भगवानने हिरण्यकशिपु नामक असुरका वध किया था, जिसने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी और देवताओं को भी परेशान किया था. नरसिंह भगवान ने ब्रह्मा के वरदान की शर्तों का पालन किया था. असुर को वरदान था कि न दिन, न रात, न घर के अंदर, न बाहर, न अस्त्र से, न शस्त्र से, न मनुष्य, न पशु से उसका वध हो. भगवान ने अपनी जांघों पर लिटाकर अपने नाखूनों से उसका वध किया था.
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु का वध करने के बाद भगवान नरसिंह ने झारासुर (जलासुरा) नामक एक और असुर का वध किया. ये असुर भगवान शिव का परम भक्त था. जिस समय वह मृत्यु की शैया पर लेटा हुआ था और अंतिम सांस ले रहा था उस समय उसने नरसिंह भगवान से विनती की कि वे उसी गुफा में रहें जहां वह निवास कर रहा था और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करें. नरसिंह भगवान ने असुर की अंतिम इच्छा पूरी की और उसके गुफा में निवास करने लगे. झारासुर जल में बदल गया और वह झरना बन गया, जो आज तक बह रहा है.
श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में आधुनिक सुविधाएं
मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान नरसिंह की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है, जो बहुत शक्तिशाली है. यहां श्रद्धालुओं को गुफा के अंदर कोई परेशानी न हो इसके लिए लाइटिंग से लेकर AC तक का इंतजाम किया गया है. साथ ही साथ श्रद्धालुओं के लिए स्नान और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

