तसलीमा नसरीन का तीखा हमला — खालिदा जिया के दौर की यादें बताईं ‘कड़वी और खौफनाक’

नई दिल्ली 
बांग्लादेशी मूल की मशहूर लेखिका नसलीमा नसरीन ने पूर्व पीएम खालिदा जिया के निधन पर टिप्पणी की है। उन्होंने मंगलवार को एक्स पर लिखा कि 80 साल की खालिदा जिया ने 10 साल तक पीएम के तौर पर शासन किया था। उनके दौर में ही मेरी कई किताबें प्रतिबंधित की गई थीं। अब मैं उम्मीद करती हूं कि उन पर से पाबंदी हटा दी जाएगी। यही नहीं खालिदा जिया की मौत के बाद उनके उठाए कदमों पर भी तसलीमा ने अपने ही अंदाज में तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा कि 1994 में मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और उन्होंने जिहादियों का साथ दिया।

तसलीमा लिखती हैं कि एक महिला, सेकुलर, मानवतावादी और फ्री थिंकर लेखिका के खिलाफ केस दर्ज हुए और वह जिहादियों के पक्ष में रहीं। यही नहीं उन्होंने मेरे खिलाफ अरेस्ट वॉरंट भी जारी करवाया। इसके बाद मुझे मेरे ही देश से निर्वासित कर दिया गया। उनके शासनकाल में कभी मैं वापस बांग्लादेश नहीं जा सकी। इसके आगे वह सवाल करती हैं कि क्या उनकी मौत के साथ मेरा 31 सालों का वनवास खत्म हो जाएगा। या फिर यह अन्याय जारी रहेगा। सवाल है कि आखिर यह पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रहने वाला है या फिर कभी खत्म होगा।

यही नहीं वह लिखती हैं कि उन्होंने जीते जी मेरी कई किताबों पर पाबंदी लगाई थी। अब सवाल है कि क्या मेरी अभिव्यक्ति की आजादी बहाल होगी। यदि उनकी मौत के साथ ही ऐसा हो जाए तो भी सही है। उन्होंने लिखा कि मैं सोचती हूं कि क्या अब मेरी किताबों से पाबंदियां हट जाएंगी। यही नहीं उन्होंने क्रमवार यह भी बताया कि उनकी किस किताब पर कब पाबंदी लगी थी। तसलीमा लिखती हैं कि मेरी चर्चित पुस्तक लज्जा पर 1993 में बैन लगा था। इसके बाद उत्तल हवा पर 2002 में पाबंदी लगी। 2003 में का और 2004 में वे काले दिन नामक पुस्तक पर पाबंदी लगी थी।

तसलीमा लिखती हैं कि अपने जीते जी कभी भी खालिदा जिया ने अभिव्यक्ति की आजादी को बहाल करने का समर्थन नहीं किया। शायद अब उनकी मौत के बाद ही ऐसा हो जाए। बता दें कि तसलीमा नसरीन लंबे अरसे से भारत में ही बसी हुई हैं। उनके उपन्यास लज्जा पर तो भारत में फिल्म भी बन चुकी है, जो काफी चर्चित हुई थी।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *