SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, बिहार में विरोध और समर्थन के सुर तेज

नई दिल्ली

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले पर विचार कर सकती है।

निर्वाचन आयोग ने एसआईआर को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों का नाम हटाने से चुनावी शुचिता बढ़ेगी। मामले में मुख्य याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दावा किया है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को अनियंत्रित विवेकाधिकार प्राप्त होने से बड़ी आबादी के मताधिकार से वंचित होने का खतरा है।

बीती 10 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा था कि एसआईआर के लिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज मानने पर विचार किया जा सकता है।

बिहार में एसआईआर को लेकर मचा है बवाल
दरअसल, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से बिहार में चुनाव से पहले एसआईआ कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की अलग-अलग याचिकाओं के अलावा कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, शरद पवार एनसीपी गुट की सुप्रिया सुले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है। सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर के निर्देश देने वाले चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है।

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