नई दिल्ली
डिजिटल दुनिया में ठगी करने वालों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार एक बेहद सख्त कदम उठाने जा रही है। अब तक व्हाट्सऐप (WhatsApp) पर ब्लॉक होने के बाद स्कैमर्स टेलीग्राम या स्नैपचैट जैसे अन्य प्लेटफॉर्म का सहारा लेकर लोगों को निशाना बनाते थे लेकिन जल्द ही यह रास्ता बंद होने वाला है। सरकार एक ऐसा यूनिफाइड ब्लॉकिंग सिस्टम लाने पर विचार कर रही है जिसके तहत एक प्लेटफॉर्म पर बैन हुआ यूजर पूरे डिजिटल इकोसिस्टम से बाहर कर दिया जाएगा।
वन प्लेटफॉर्म ब्लॉक, ऑल प्लेटफॉर्म आउट
मौजूदा व्यवस्था में व्हाट्सऐप हर महीने लाखों संदिग्ध अकाउंट्स को ब्लॉक करता है लेकिन स्कैमर्स आसानी से अपना प्लेटफॉर्म बदल लेते हैं। सरकार की नई योजना इसे जड़ से खत्म करने की है। व्हाट्सऐप और अन्य मैसेजिंग ऐप्स अब उन मोबाइल नंबरों की लिस्ट सरकार के साथ साझा करेंगे जिन्हें फ्रॉड या नियमों के उल्लंघन के लिए बैन किया गया है। सरकार इन नंबरों को एक सेंट्रल डेटाबेस में डालेगी जिससे टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे अन्य ऐप्स भी उन्हें ऑटोमैटिक तरीके से ब्लॉक कर सकेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य स्कैमर्स को एक ऐप से दूसरे ऐप पर शिफ्ट होने से रोकना है।
सिम बाइंडिंग (Sim Binding): बिना सिम नहीं चलेगा ऐप
स्कैमर्स की एक बड़ी चालाकी यह होती है कि वे एक बार ओटीपी (OTP) लेकर अकाउंट बना लेते हैं और फिर सिम कार्ड निकाल फेंकते हैं। इससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इससे निपटने के लिए सरकार सिम बाइंडिंग को अनिवार्य करने जा रही है। इस नियम के बाद अगर आपके फोन में एक्टिव सिम कार्ड नहीं है तो आप व्हाट्सऐप या अन्य मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इससे किसी भी धोखाधड़ी की स्थिति में अपराधी की लोकेशन और पहचान को तुरंत ट्रैक करना संभव होगा।
क्यों पड़ी इस नियम की जरूरत?
व्हाट्सऐप की मासिक कंप्लायंस रिपोर्ट (Compliance Report) बताती है कि हर महीने लाखों अकाउंट्स पर कार्रवाई होती है फिर भी साइबर अपराध कम नहीं हो रहे हैं। केवल एक ऐप पर बैन लगाना काफी नहीं है क्योंकि अपराधी के पास दर्जनों डिजिटल रास्ते खुले होते हैं। सरकार का मानना है कि प्लेटफॉर्म्स के बीच आपसी तालमेल से ही साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।

