श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय – जगतगुरू रामभद्राचार्य

आध्यात्म, धर्म और संस्कृति के साथ विकास वरदान बनता है – उप मुख्यमंत्री शुक्ल

रामायण के माध्यम से भारतीय संस्कृति का होता है प्रगटीकरण- संस्कृति मंत्री लोधी

श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय – जगतगुरू रामभद्राचार्य
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में रामायण शोधपीठ होगा स्थापित

भोपाल

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में रामायण शोधपीठ की स्थापना की जाएगी। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, संस्कृति राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेन्द्र सिंह लोधी और जगतगुरू रामभद्राचार्य ने गुरुवार को इसकी शिलापट्टिका का अनावरण किया। रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जगतगुरू रामभद्राचार्य ने कहा कि राम चरित्र वत्सल हैं। उनका आदर्श अनुकरणीय है, जितना समृद्ध साहित्य भगवान श्रीराम का है उतना और किसी का नहीं है। रामायण शोध पीठ की स्थापना रीवा विश्वविद्यालय के लिए शुभ हो और यह रामायण के शोधार्थियों के लिए वरदान बने। इसकी स्थापना रीवा के पूर्व महाराज रामायण अनुरागी रघुराज सिंह को श्रद्धांजलि भी होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आचार्यों को ऐसी मर्यादा प्रस्तुत करनी चाहिए, जिससे शिष्य उनका अनुकरण करें। जगतगुरू ने रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की बात भी कही।

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि देश की सबसे बड़ी ताकत आध्यात्म धर्म और संस्कृति है। इनके साथ से ही विकास वरदान बन जाएगा। आज का दिन अविस्मरणीय रहेगा जब जगतगुरू के कर-कमलों से पीठ की स्थापना की शुरुआत हुई है। रामायण पीठ के माध्यम से रामायण के गुणों को अंगीकार करने और शोधार्थियों को नवीनतम शोध में मदद मिलेगी। उन्होंने रामायण पीठ के लिए 25 लाख रुपए देने की घोषणा की और आश्वस्त किया कि अन्य आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाएगी।

संस्कृति राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार लोधी ने कहा कि रामायण के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रगटीकरण होता है। चरित्रवान व मर्यादाशील होने का भगवान राम से सीख मिलती है। रामायण की शिक्षाएं आज के परिवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि रामायण से जीवन की दशा को सुधार कर चरित्रवान बनते हुए देशहित के लिए सीख मिलती है।

सांसद जनार्दन मिश्र ने रामायण पीठ की स्थापना के लिए साधुवाद देते हुए सांसद निधि से 25 लाख रुपए देने की घोषणा की। कुलगुरू दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट शिशिर पाण्डेय, कुलसचिव सुरेन्द्र सिंह परिहार, नोडल अधिकारी नलिन दुबे, कुलगुरू अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद कुड़रिया, अध्यक्ष नगर निगम व्यंकटेश पाण्डेय सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

 

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