विधानसभा में नारेबाजी और विरोध अब बैन, कांग्रेस बोली – लोकतंत्र की आवाज दबाई जा रही

भोपाल 

मध्य प्रदेश में आगामी 28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र से पहले विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है जिसका कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया है. इस आदेश के तहत, विधानसभा परिसर में किसी भी प्रकार की नारेबाजी या प्रदर्शन करने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह रोक विधान सभा अध्यक्ष द्वारा संविधान के अनुच्छेद 94(2) के अंतर्गत लगाई गई है.

आदेश में कहा गया है कि विधायकों द्वारा परिसर में प्रदर्शन, नारेबाजी या किसी प्रकार की भीड़भाड़ वाली गतिविधि पर प्रतिबंध रहेगा. यह निर्णय सत्र के दौरान अनुशासन और शांति बनाए रखने की दृष्टि से लिया गया है. हालांकि, इस निर्णय को लेकर विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है.

कांग्रेस ने किया फैसले का विरोध

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस आदेश को सरकार के दबाव में उठाया गया कदम बताया है. उन्होंने कहा, 'विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार के दबाव में आकर यह आदेश जारी किया है. विपक्ष बार-बार मांग कर रहा है कि विधानसभा की कार्यवाही को लाइव किया जाए ताकि जनता देख सके कि सदन में उनके मुद्दों को किस तरह उठाया जाता है लेकिन सरकार और अध्यक्ष दोनों ही लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने में लगे हैं.'

कांग्रेस ने बताया संविधान का उल्लंघन

सिंघार ने आगे कहा कि, 'यह संविधान की धारा 194 का उल्लंघन है, जो विधायकों को विशेषाधिकार देती है कि वो जनता के मुद्दे सदन में उठा सकें. प्रदर्शन, नारेबाजी और सवाल पूछना लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन सरकार इन सभी माध्यमों को नियंत्रित कर विपक्ष की आवाज़ को दबाना चाहती है.'

कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह इस आदेश का खुलकर विरोध करेगी और पूर्व की भांति आगामी सत्र में भी जोर-शोर से जनहित के मुद्दे उठाएगी. कांग्रेस ने इस प्रतिबंध को लोकतंत्र का गला घोंटने वाला निर्णय बताया है.

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