कलावा उतारने के नियम और महत्व: धार्मिक दृष्टि से सही समय

कलावा बांधना धार्मिक रूप से शुभ और मंगलकारी माना गया है, हिंदू धर्म में कलावा विशेष महत्व रखता है. कलाई पर बंधा कलावा कितने दिन बाद उतारें, जानें कलावा उतारने की विधि और धार्मिक महत्व.

कलावा यानी मौली या धागा, इसे कई बार पूजा के समय बांधा जाता है. हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधना शुभ माना गया है. इसे पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक कार्यों के समय बांधा जाता है. कलावा बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

कलावा बांधने का अर्थ है भगवान आपकी रक्षा कर रहे हैं, साथ ही सौभाग्य आएगा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलावा को उतारने का कोई निश्चित दिन नहीं बताया गया है. यह व्यक्ति की श्रद्धा और अवसर पर निर्भर करता है. ऐसा माना जाता है किसी भी धार्मिक कार्य पूरा होने के बाद कलावा उतारा जा सकते हैं.

कई बार लंबे समय तक कलावा फट जाए या गंदा हो जाने पर या टूट जाने पर इसे उतार देना चाहिए.कलावे को उतारने के बाद बहते जल या पवित्र पेड़ के पास रखना शुभ माना जाता है. ऐसा करना शुभ होता है. ध्यान रखें कलावे को किसी के पैरों में ना आने दें और ही कूड़े में फेंके.

अगर आप किसी नई पूजा में बैठे हैं तो नया कलावा पहनने से पहले पुराने कलावे को जरूर उतार दें और उसके बाद नए कलावे को बंधवाना चाहिए.

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