नई दिल्ली
भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. अब भारत 2030 तक जर्मनी को भी पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है. इंडिया अब केवल एक उभरता हुआ बाजार नहीं, बल्कि ग्लेाबल डिफेंस और एडवांस इंजीनियरिंग का अगला बड़ा हब भी बनता जा रहा है.
इसी बदलते भारत को देखते हुए ब्रिटेन की दिग्गज एयरो-इंजन निर्माता कंपनी रोल्स-रॉयस (Rolls Royce) ने एक बड़ा संकेत दिया है. कंपनी भारत को ब्रिटेन के बाहर अपना तीसरा “होम मार्केट” बनाने की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रही है, जो देश की तकनीकी और सामरिक ताकत के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है. अब तक अपने लग्ज़री कारों से भारतीयों का दिल जीतने वाली रोल्स रॉयस अब डिफेंस और एयरोस्पेस में भी बड़ी योजनाओं के साथ उतर रही है.
रोल्स-रॉयस का तीसरा घर
रोल्स-रॉयस ने हाल ही में कहा कि, वह भारत को ब्रिटेन के बाहर अपना तीसरा “होम मार्केट” बनाने की संभावनाओं पर काम कर रही है. कंपनी का मानना है कि भारत में जेट इंजन, नेवल प्रोपल्शन, लैंड सिस्टम्स और एडवांस इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं मौजूद हैं, जिन्हें पूरी तरह खोलने का समय अब आ गया है.
पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में रोल्स-रॉयस इंडिया के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट शशि मुकुंदन ने कहा कि, "कंपनी भारत में बड़े निवेश की योजना बना रही है. उन्होंने साफ किया कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी एएमसीए प्रोग्राम के तहत बनने वाले लड़ाकू विमानों के लिए नेक्स्ट जेनरेशन एयरो इंजन का डेवलपमेंट भारत में करना कंपनी की प्राथमिकता है."
अमेरिका और जर्मनी के बाद भारत पर फोकस
फिलहाल रोल्स-रॉयस ब्रिटेन के अलावा अमेरिका और जर्मनी को अपना “होम मार्केट” मानती है, जहां कंपनी की मजबूत मौजूदगी और मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी है. अब भारत को भी उसी स्तर पर लाने की तैयारी इस बात का संकेत है कि कंपनी भारत में लांग टर्म प्लांस के साथ आगे बढ़ने की तैयारी में है.
शशि मुकुंदन ने यह भी बताया कि, "रोल्स-रॉयस भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी में अहम भूमिका निभा सकती है. यह तकनीक भविष्य की नौसैनिक जरूरतों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है."
एयरो इंजन से नेवल इंजन तक का रास्ता
उन्होंने बताया कि, "अगर एएमसीए के लिए जेट इंजन का डेवलपमेंट रोल्स-रॉयस के साथ होता है, तो इससे भारत को नेवल प्रोपल्शन इंजन बनाने में भी मदद मिल सकती है." बताते चलें कि, रोल्स-रॉयस दुनिया की उन गिनी-चुनी कंपनियों में शामिल है, जिनके पास एयरो इंजन को “मैरिनाइज” करने की क्षमता है.
भारत में बड़े निवेश की तैयारी
मुकुंदन ने निवेश के आंकड़े साझा किए बिना कहा कि कंपनी भारत में अपने एक्सपेंशन के लिए बड़ा निवेश करने पर विचार कर रही है. भारत में स्केल, नीतिगत स्पष्टता और रक्षा व इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम को लेकर मजबूत पॉलिटिकल विलपॉवर है, जो तेजी से परिपक्व हो रही है." हालांकि उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि, रोल्स रॉयस अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर कितना निवेश करने पर सोच रही है.
उन्होंने कहा कि, "अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो यह निवेश इतना बड़ा होगा कि लोग इसे जरूर महसूस करेंगे. असली मायने निवेश की राशि से ज्यादा उसके प्रभाव के हैं, जो उन सभी क्षेत्रों में वैल्यू चेन और इकोसिस्टम के डेवलपमेंट को गति देगा, जहां रोल्स-रॉयस काम करती है."
रोल्स-रॉयस भारत में दो डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के साथ MoU को अंतिम रूप देने जा रही है. इनमें से एक समझौता अर्जुन टैंक के लिए इंजन निर्माण से जुड़ा होगा, जबकि दूसरा भविष्य के रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स के इंजनों से संबंधित होगा. गौरतलब है कि अक्टूबर में रोल्स-रॉयस के सीईओ तुफ़ान एर्गिनबिलगिक ने एक बिजनेस राउंडटेबल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि आने वाले समय में भारत रोल्स-रॉयस के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है. यह बयान अब कंपनी की रणनीति में साफ झलकता नजर आ रहा है.
हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग हब और रोजगार की संभावनाएं
Rolls-Royce अब भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग, रिसर्च और सप्लाई चेन का अहम केंद्र बनाने जा रहा है. इससे न सिर्फ एयरोस्पेस, डिफेंस और पावर सिस्टम्स सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को भी नई गति मिलेगी. साथ ही, मॉडर्न जेट इंजन और एडवांस टेक्नोलॉजी का भारत में विकास देश को ग्लोबल एविएशन और डिफेंस इकोसिस्टम में और मजबूत स्थिति दिलाएगा, जिससे भारत भविष्य की हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरता नजर आएगा.
रोल्स-रॉयस का इतिहास
रोल्स-रॉयस का इतिहास इंजीनियरिंग, इनोवशन और विश्वसनीयता का प्रतीक रहा है. इसकी स्थापना 1906 में चार्ल्स रोल्स और हेनरी रॉयस ने की थी. इन्हीं दोनों के सरनेम से कंपनी का नाम 'रोल्स-रॉयस' पड़ा है. चार्ल्स और हेनरी ने पहले लग्ज़री कारों के जरिए कंपनी को पहचान दिलाई, लेकिन जल्द ही रोल्स-रॉयस ने एयरोस्पेस क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विमान इंजनों के निर्माण से शुरुआत करते हुए कंपनी ने जेट इंजन टेक्नोलॉजी में क्रांति ला दी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रोल्स-रॉयस ने जेट इंजन डेवलप किए, जिनका इस्तेमाल सैन्य और कमर्शियल विमानों में हुआ और जिसने आधुनिक एविएशन की दिशा बदल दी. आज रोल्स-रॉयस दुनिया की लीडिंग एयरो-इंजन निर्माता कंपनियों में शामिल है और इसके जेट इंजन हाई परफॉर्मेंस, एडवांस टेक्नोलॉजी के लिए जाने जाते हैं.

