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वृंदावन-बरसाना के मंदिरों में अब रोहतक की पारंपरिक पोशाकों का होगा सुंदर प्रदर्शन

मथुरा 
इस बार होली, जन्माष्टमी, राधाष्टमी और तीज जैसे विशेष पर्वों पर वृंदावन और बरसाना के प्रसिद्ध मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन खास होंगे। इन मंदिरों में अब देवी-देवता रोहतक में तैयार की गई रंग-बिरंगी जयपुरी सिल्क की सुंदर पोशाकें धारण करेंगे।

कहां-कहां सजेंगी ये पोशाकें?
यह पोशाकें इस्कॉन वृंदावन, श्री बांके बिहारी मंदिर, श्री राधा रानी मंदिर (बरसाना), श्री राधा रमण, श्री राधा वल्लभ, निधिवन मंदिर, राधा रानी अष्ट सखियां मंदिर, जन्मस्थली मंदिर समेत आठ से अधिक प्रमुख धामों में सजाई जाएंगी।

विशेषताएं क्या हैं इन पोशाकों की?
     कुल 46 मीटर रेशमी और चमकीले कपड़े से लहंगा, चुन्नी, पटका, जामा, पगड़ी और चोली बनाई गई हैं।
    जयपुरी एम्ब्रॉयडरी और गोटा से कढ़ाई की गई है, जो इन पोशाकों को अत्यंत आकर्षक बनाती है।
    श्री बांके बिहारी की पोशाक के लिए 22 मीटर और श्री राधा रानी की पोशाक के लिए 24 मीटर कपड़ा उपयोग में लिया गया है।

कला के पीछे भावनात्मक प्रेरणा
इस सेवा का श्रेय रोहतक निवासी आकाश सिंधवानी को जाता है, जो पिछले पाँच वर्षों से देवी-देवताओं के लिए पोशाकें तैयार कर रहे हैं। वे बताते हैं कि उन्हें इस कार्य की प्रेरणा अपनी दिवंगत माता स्व. आशा देवी से मिली, और भक्ति का मार्ग उनके दादा वेद्य केसरदास ने दिखाया।

सूरत और जयपुर से आया सामग्री
इस बार पोशाकों के लिए कपड़ा सूरत से और लेस-गोटा जयपुर से मंगवाया गया। पिछले 3-4 महीनों से इन पोशाकों की तैयारी चल रही थी।

केवल पोशाकें ही नहीं, पूरा श्रृंगार
देवताओं के लिए ईत्र, ईयररिंग्स, पायल, कंगन, बांसुरी, हार, कमरबंद, मोरपंख और लड्डू गोपाल के श्रृंगार सेट भी तैयार किए गए हैं।

देश-विदेश तक पहुंच
मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम, अमृतसर, लुधियाना जैसे शहरों की मंदिर समितियाँ सोशल मीडिया पर डिज़ाइन देखकर ऑर्डर देती हैं। ऑर्डर मिलने के बाद पोशाकें कुरियर से भेजी जाती हैं। अब तक कनाडा, दुबई और अमेरिका तक भी ये पोशाकें भेजी जा चुकी हैं।

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