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उज्जैन सहित राज्य के जिन स्थानों पर संत रविदास जी के चरण पड़ें, उन्हें तीर्थ के रूप में किया जाएगा विकसित

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि संत शिरोमणि गुरू रविदास जी ने "जात-पात पूछे न कोई-हरि को भजे सो हरि को होई" जैसे उदात्त विचारों से समाज को छुआछूत, सामाजिक असमानता, आडम्बर और अंधविश्वास के विरूद्ध जागरूक किया। उन्होंने परतंत्रता और विदेशी आक्रांताओं के आतंक से प्रभावित वातावरण में भक्ति, समानता और सद्भाव के साथ अपनी यात्रा आरंभ की। काशी में माँ गंगा के घाट से आरंभ यात्रा में राजवंश के व्यक्ति भी उनके शिष्य बनें। मीरा बाई द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में जीवन व्यतीत करना संत रविदास जी की प्रेरणा से ही संभव हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संत रविदास जी की भावनाओं और विचारों को जन-जन तक ले जाने के उद्देश्य से उनके विचारों को शालेय पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संत रविदास जी की जयंती पर प्रदेशवासियों को मीडिया के माध्यम से शुभकामनाएं देते हुए उक्त विचार व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्री राम और भगवान श्रीकृष्ण, संत रविदास जी की भक्ति के आधार थे। उन्होंने राम नाम के जाप का संदेश देते हुए बताया कि भगवान व्यक्ति के भीतर है और भक्ति के लिए किसी आडम्बर की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, संत रविदास जी के दर्शन के आधार पर भारत को विश्व में आदर्श देश के रूप में स्थापित कर रहे हैं। राज्य सरकार भी इस दिशा में कार्यरत है। सागर में संत रविदास जी को समर्पित‍धाम का निर्माण जारी है। उज्जैन सहित राज्य के जिन स्थानों पर संत रविदास जी के चरण पड़ें हैं, उन्हें तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा।

 

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