नवांशहर
पंजाब रोडवेज पनबस तथा पी.आर.टी.सी. कंट्रेक्ट वर्करज यूनियन ने लगातार तीसरे दिन हड़ताल करके बसों का चक्का जाम रखा। इस दौरान प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने बस अड्डे पर रोष धरना देकर पंजाब सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। यूनियन के प्रधान नरिन्दर पंडोरी तथा महासिंह रोडी ने कहा कि पंजाब सरकार पंजाब रोडवेज पनबस वर्कर्ज की मांगों को लेकर गंभीर नही है तथा लगातार उनकी जायज मांगों को लटकाती आ रही है जिसके चलते समूह वर्कर्ज में सरकार खिलाफ भारी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गत 14 अगस्त से शुरु की गई तीन दिवसीय हडताल में यदि सरकार उनकी मांगों प्रति आश्वासन तथा बातचीत का लिखित न्यौता नही दिया तो वह अनिश्चकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होगे।
क्या हैं पनबस कंट्रैक्टक वर्करज यूनियन की मांगे :
यूनियन प्रधान नरिन्दर पंडोरी ने मांगों संबंधी जानकारी देते हुए सरकार से मांग की कि किलोमीटर स्कीम के टैंडरों को रद्द किया जाए, कंट्रैक्ट पर काम कर रहे वर्करों को रैगुलर करके सर्विस रुल बनाए जाए, आऊटसोर्स पर काम कर रहे कर्मचारियों को कंट्रैक्ट पर किया जाए, संस्पैंड किए कंट्रैक्ट कर्मचारियों को बहाल किया जाए तथा नए भर्ती हुए कर्मचारियों को बराबर वेतन दिया जाए।
कंट्रैक्ट वर्करों की हडताल के चलते 56 पनबस बसे बनी रोडवेज डिपू का श्रृंगार
पंजाब रोडवेज पनबस कंट्रैक्ट कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पनबस की 56 बसे रोडबेज डीपू का श्रृंगार बनने को मजबूर हुई। जिसके चलते रोडवेज डिपू को प्रति दिन 8-10 लाख रुपए का राजस्व घाटा उठाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यूनियन प्रधान नरिन्दर पंडोरी ने बताया कि पंजाब रोडवेज पनबस की सड़कों पर दौड़ने वाली कुल करीब 62 बसों में से 56 पनबस की बसें है जो हड़ताल के चलते डीपू पर खड़ी है। उन्होंने बताया कि उक्त 56 बसे प्रतिदिन करीब 22 हजार का माईलेज तय करके 8-10 लाख रुपए का राजस्व जुटाती है। इस तरह से रोडवेज के डिपू को तीन की हड़ताल में 24 लाख से अधिक का चूना लग चुका है।
पनबस -पी.आर.टी.सी बसों की हड़ताल के चलते यात्रियों की हुई परेशानी, निजी बसों की रही चांदी
पंजाब रोडवेज पनबस तथा पी.आर.टी.सी.के कंट्रैक्ट वर्करों की हड़ताल के चलते यात्रियों को परेशान होने के लिए मजबूर होना पड़ा। गुरजंट सिंह ने बताया कि उसने चंडीगढ़ जाना था परन्तु बसों की हड़ताल के चलते वह पिछले करीब 2 घंटे से परेशान हो रहे है। उसने बताया कि चंडीगढ़ की ओर जाने वाली निजी बसों पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह गंतव्य स्थान तक पहुंचा देगी। इसी तरह से बस का इंतजार कर रही ज्योति, कमलजीत कौर तथा रोजी बाला ने बताया कि बसों की हड़ताल के चलते वह बच्चों सहित परेशान हो रहे है। जबकि दूसरी ओर निजी बसों की चांदी रही तथा यात्री भरी निजी बसों में यात्रा करने को मजबूर हुए।