Headlines

निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी के व्रत में सर्वश्रेष्ठ, जान लें व्रत के पारण नियम

निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी के व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी साल में पड़ने वाली 24 एकादशी के बराबर फल की प्राप्ति होती है. साल 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025, शुक्रवार के दिन रखा गया. एकादशी व्रत का पारण व्रत के अगले दिन किया जाता है. यहां जानते हैं कब और कैसे किया जाएगा साल की सबसे बड़ी एकादशी के व्रत का पारण. बिना पानी के व्रत को निर्जला व्रत कहते हैं और निर्जला एकादशी का उपवास किसी भी प्रकार के भोजन और पानी के बिना किया जाता है.

कठोर नियमों के कारण इस एकादशी को सभी एकादशी को सभी एकादशी में सर्वश्रेषठ और साल की सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी के व्रत को रखने से अन्य एकादशियों का लाभ भी प्राप्त होता है. अक्सर निर्जला एकादशी का व्रत जून माह में रखा जाता है. यहां जानते हैं साल 2025 में निर्जला एकादशी व्रत को रखने की सही तिथि क्या रहेगी.

निर्जला एकादशी 2025
निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून, 2025 शुक्रवार के दिन किया जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन 7 जून, शनिवार के दिन होगा. निर्जला एकादशी के व्रतका पारण करने का सही समय 7 जून, शनिवार को दोपहर 1.35 मिनट से लेकर शाम 4 बजे तक रहेगा. पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 11.25 मिनट रहेगा.

निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है. द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है. एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए.

कैसे करें पारण?
    द्वादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें और सूर्य देव को अर्घ्य दें.
    मंदिर को साफ करें, भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाएं.
    मंत्रों का जप करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें.
    भगवान विष्णु को सात्विक भोजन का भोग लगाएं.
    सभी में प्रसाद का वितरण करें और स्वयं प्रसाद को ग्रहण करें.
    द्वादशी तिथि के दिन चावल का सेव जरूर करें.

क्या होता है हरि वासर? श्रद्धालु एकादशी का व्रत करते हैं तो उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि या भाग को कहा जाता है. व्रत तोड़ने के लिये सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल यानि सुबह का होता है, व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए. कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण नहीं कर पाया हो, तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *