बिहार में बाढ़ से तबाही, लाखों लोग संकट में, नीतीश सरकार ने शुरू की राहत-बचाव की पहल

पटना

बिहार में बाढ़ से हाहाकार है। लोगों के आशियाने विलीन हो गए। सैकड़ों घर पानी में डूबे हुए हैं। लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। लगातार बारिश के कारण गंगा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, सोन, पुनपुन समेत कई नदियां उफान पर है। बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, भागलपुर, बेगूसराय, खगड़िया, पूर्णिया और कटिहार के निचले इलाकों में पानी घुस गया है। तीन हजार से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। करीब 15 लाख लोग सीधे तौर पर बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। लोगों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ा है। जिला प्रशासन की टीम बाढ़ पीड़ितों को राहत पैकेज बांट रही है। कई जगह लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्कूल भी बंद कर दी गई है। नीतीश सरकार ने लोगों से अलर्ट रहने की अपील की है। आइए जानते हैं किस जिले का कैसा हाल है…

पटना में सीएम नीतीश कुमार ने की हाईलेवल मीटिंग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने वाले थे। लेकिन, लगातार बारिश होने के कारण उनका यह कार्यक्रम स्थगित हो गया। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम, मंत्री, अधिकारी और संबंधित जिलों में डीएम के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए हाई लेवल मीटिंग की। उन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हाल जाना। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत शिविर, शरणार्थियों की संख्या, सामुदायिक रसोई की संख्या के बारे में जानकारी ली। इसके बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कार्यों का जायजा लिया। साथ ही संबंधित अधिकारियों को अलर्ट रहने का आदेश दिया। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को किसी तरह की परेशान न हो, जिला प्रशासन इसका ख्याल रखे।

मुंगेर में 213 गांव बाढ़ से प्रभावित

मुंगेर जिले में भयावह हो चुकी है। प्रसाशनिक आंकड़ों के अनुसार, जिले के सदर ,जमालपुर बरियारपुर ,धरहरा और हवेली खड़गपुर केतिस पंचायत के 213 गांव पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित हैं। जबकि नगर निकाय क्षेत्र के 15 वार्ड बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। जिला में ग्रामीण क्षेत्र के 26 हजार घर के दो लाख बीस हजार आवादी और शहरी क्षेत्र के इक्कीस हजार छह सौ घरों की अठारह हजार आबादी बाढ़ की चपेट में है। इसके अलावा सात हजार 933 पशु भी बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।

पानी में डूबे इलाकों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की मांग  

बेगूसराय जिले में गंगा नदी में आई बाढ़ से कई गांव के लोग प्रभावित हुई है। वहीं, पशुधन रखने वाले किसानों के समक्ष भी समस्या उत्पन्न हो गई है। हालांकि, दो दिनों से घटते जलस्तर से आम जन और प्रशासन ने राहत की सांस ली है। वहीं, अब तक बाढ़ प्रभावित लोगों द्वारा इसे बाढ़ क्षेत्र घोषित करने की मांग तेज कर दी गई है। जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड शामहो के प्रखंड प्रमुख मनोज कुमार अपनी मांग को लेकर पत्राचार किये हैं। इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी बाढ़ प्रभावित घोषित करने की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस, राजद और वामदलों के नेता भी लगातार इस मांग को उठा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…

भागलपुर में 6.65 लाख लोग बाढ से प्रभावित हैं

भागलपुर जिले स्थित 12 प्रखंड की 110 पंचायत और शहरी क्षेत्र के गंगा के आसपास के चार वार्ड  (वार्ड संख्या 1,3,9,10) में बाढ का पानी फ़ैल गया है। जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, 12 प्रखंड में लगभग 6.65 लाख लोग बाढ से प्रभावित हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार से भागलपुर व कहलगांव में गंगा के जलस्तर में कुछ कमी हुई है। लेकिन खतरा बरकरार है। इधर भागलपुर जिले स्थित गोपालपुर प्रखंड के इस्माइलपुर-सैदपुर बिंदटोली रिंगबांध में गंगा की तेज धार से ध्वस्त हुए बांध से बिंदटोली गांव के दर्जनों घर गंगा में समा गए। लगभग 3400 लोगों के बेघर होने की खबर है।  तटबंध एवं गंगा नदी के बीच बसे दिन लोगों के घर कटकर गंगा में बह गए हैं, वैसे प्रभावित परिवार अपने शेष बचे सामान को लेकर तटबंध से बाहर निकलकर सड़क किनारे पहुंच गए हैं। लोग  सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर गए हैं। इधर जल संसाधन विभाग की टीम तटबंध के किनारे इसी बैग, बांस के पेड़ की डालियां व मिट्टी देकर तटबंध को बचाने का प्रयास में लगी हुई है।

गंगा का जलस्तर 15 सेमी घटा है

लखीसराय बाढ़ से बेहाल सरकारी आंकड़ों के अनुसार गंगा का जलस्तर 15 सेमी घटा है, लेकिन पर पिपरिया, बड़हिया व लखीसराय प्रखंड के 14 पंचायतों में बाढ़ गंभीर है। गंगा व हरुहर नदी का पानी गांवों, स्कूलों, अस्पतालों व खेतों में घुस गया है। सड़क संपर्क ठप, नाव ही सहारा है। सैकड़ों एकड़ फसलें नष्ट, मवेशी ऊंचे स्थानों पर पहुंचाए जा रहे हैं। पिपरिया प्रखंड कार्यालय पानी में डूबने से सैदपुरा पंचायत भवन में शिफ्ट किया गया। राहत सामग्री व सामुदायिक किचन की व्यवस्था जारी है।

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