कोलकाता
वक्फ संशोधन ऐक्ट के खिलाफ पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद में भड़की हिंसा पर राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि हिंसा के दिन करीब 10,000 की भीड़ जमा हो गई थी। इतना ही नहीं उन्मादी भीड़ ने तब मौके पर तैनात पुलिस की पिस्तौल भी छीन ली थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन्मादी भीड़ में से करीब 10 लोगों के पास घातक हथियार थे, जिनसे पुलिस को अपने अधिकारियों को बचाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपद्रवियों की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले करीब 8000-10000 लोगों की भीड़ पीडब्ल्यूडी ग्राउंड आउट पर इकट्ठा हुई। इसके बाद भीड़ का एक हिस्सा अलग हो गया और करीब 5000 लोग उमरपुर की ओर बढ़ गए और एनएच को जाम कर दिया। इसके बाद देखते ही देखते भीड़ बेकाबू हो गई और गंदी भाषा का इस्तेमाल करने लगी। इसके बाद उन्होंने पुलिस कर्मियों पर ईंट-पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
तीन सदस्यीय समिति को प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिए
इस बीच, कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य वाली तीन सदस्यीय समिति को हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास और शांति बहाली की निगरानी के लिए जिले के प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिए।
शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई
हाई कोर्ट राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे। एक अन्य याचिकाकर्ता ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा कदम उठाए जाने का अनुरोध किया। केंद्र की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती को जिले की जमीनी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ समय के लिए और बढ़ा दिया जाए।
केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात
मुर्शिदाबाद के उपद्रवग्रस्त सुती, शमसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं। उच्च न्यायालय ने शनिवार को शांति बहाली के लिए जिले में सीएपीएफ की तैनाती का आदेश दिया था। अदालत के समक्ष अपनी दलील रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि मुर्शिदाबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही अपने घर लौट चुके हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा से बचकर कई लोगों ने मालदा जिले के एक स्कूल में राहत शिविर में शरण ली है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
दूसरी तरफ, शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि राज्य के मुर्शिदाबाद, मालदा और चौबीस परगना जैसे जिलों में भड़की हिंसा और लोगों के पलायन के बाद अब राज्य के हालात ममता बनर्जी सरकार के नियंत्रण से बाहर जा रहा है, इसलिए राज्य में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता अधिकारी ने राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुए कहा,“ममता सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।” उन्होंने 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को राष्ट्रपति शासन के तहत कराने की भी मांग की है। अधिकारी का आरोप है कि जिहादी तत्व खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस सत्ताधारी पार्टी के कैडर की तरह काम कर रही है।