नई दिल्ली
भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच द्विपक्षीय व्यापर को लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर साइन हो चुकी है. इस समझौते के बाद UK का बड़ा बाजार भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए खुल जाएंगे, जबकि ब्रिटिश प्रोडक्ट्स की भारत में मौजूदगी और बिक्री दोनों बढ़ जाएगी. लेकिन अब अनुमान ये लगाया जा रहा है कि इस डील से किस देश को ज्यादा फायदा होने वाला है, जबकि अभी तो केवल दस्तावेजों पर ही साइन हुए हैं.
दरअसल, UK के बीच यह समझौता दोनों देशों के लिए 'Win-Win' वाला सिचुएशन है. लेकिन भारत को दीर्घकालिक लाभ अधिक हो सकता है, क्योंकि इसके एक्सपोर्ट सेक्टर में खासकर MSME और कृषि को वैश्विक बाजार में मजबूती मिलेगी. साथ ही भारतीय प्रोफेशनल के लिए ब्रिटेन में अवसर बढ़ेंगे.
अगर यूके की बात करें तो उसे तत्काल आर्थिक राहत और भारतीय बाजार में पहुंच का फायदा होने वाला है. दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 120 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, जो इस समझौते का पहला टारगेट है. ब्रिटेन पहले से ही भारत में 36 अरब डॉलर का निवेशक है. इस समझौते से मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में और निवेश की संभावना है.
दोनों देशों के बीच व्यापार टारगेट
बता दें, दोनों देशों के बीच साल 2023-24 में व्यापार 4.74 लाख करोड़ रुपये (लगभग 60 अरब डॉलर) का था, और इस समझौते से भारत का निर्यात 60% तक बढ़ सकता है. अनुमान है कि अगले 5 साल में भारतीय गारमेंट्स, चमड़ा, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन को निर्यात में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
ब्रिटेन में खूब बिकेंगे ये प्रोडक्ट्स
इस समझौते से 95% से अधिक कृषि और इससे जुड़े खाद्य प्रोडक्ट्स पर शून्य शुल्क लगेगा, जिससे कृषि निर्यात बढ़ेगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी. अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20% से अधिक की बढ़ोतरी का अनुमान है, जो 2030 तक भारत के 100 अरब डालर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देगा. ब्रिटेन के 90% उत्पादों पर भारत में शुल्क हटाया जाएगा या कम किया जाएगा. ब्रिटेन में भारतीय मसाले, फल-सब्जियां, और हस्तशिल्प सस्ते और अधिक उपलब्ध होंगे. स्कॉच व्हिस्की (150% से 75%, फिर 10 वर्षों में 40%), कारें (100% से 10%), कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, बिस्किट, सैल्मन मछली, और मेडिकल डिवाइसेज जैसे उत्पाद भारत में सस्ते होंगे.
किसान के लिए बड़े मौके
इससे भारतीय किसानों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाजार के दरवाजे खुलेंगे, जो जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों को मिलने वाले फायदे के बराबर या उससे भी अधिक होगा. हल्दी, काली मिर्च, इलायची, अचार और दालों को भी शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी. जबकि ब्रिटेन का भारत को निर्यात (व्हिस्की, कारें, मेडिकल उपकरण) भी 60% तक बढ़ सकता है. लक्ष्य ये भी है कि दोनों देशों के बीच व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाए, जिससे व्यापार लागत कम होगी.
इस डील एक हिस्सा ये भी है कि भारत में कपड़ा, चमड़ा, और रत्न-आभूषण जैसे उद्योगों नौकरिकों के अवसर बढ़ेंगे. MSME सेक्टर विशेष रूप से क्षेत्रीय हस्तशिल्प जैसे कोल्हापुरी चप्पल और बनारसी साड़ी, को ब्रिटेन के बाजार में बढ़त मिलेगी. ब्रिटेन में भी हजारों नौकरियां पैदा होंगी, खासकर व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, और चिकित्सा उपकरण सेक्टर में.
भारत के 99% निर्यात पर ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जिसपर फिलहाल 4-16% शुल्क लिए जाते हैं. इससे वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों को बड़ा फायदा होगा. विशेष रूप से कृषि और समुद्री उत्पादों (जैसे झींगा, टूना, मसाले, हल्दी, कटहल, बाजरा) पर 95% से अधिक शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जिससे अगले 5 वर्षों में कृषि निर्यात में 20% की वृद्धि की उम्मीद है.
मेक इन इंडिया की ताकत
उम्मीद की जा रही है कि 5 साल के बाद यह समझौता भारत में 'मेक इन इंडिया' और महिला उद्यमिता को मजबूती देगा, क्योंकि समझौते में लैंगिक समानता और श्रम अधिकारों पर जोर दिया गया है. डील के तहत भारतीय प्रोफेशनल (जैसे आईटी, हेल्थ, योग प्रशिक्षक) को ब्रिटेन में अस्थायी वीजा और सामाजिक सुरक्षा अंशदान में तीन साल की छूट से लाभ होगा. जबकि 5 साल के बाद करीब 100 अतिरिक्त वार्षिक वीजा और बढ़ी हुई श्रम गतिशीलता से भारतीय युवाओं को ब्रिटेन में अधिक अवसर मिलेंगे. 60,000 से अधिक आईटी पेशेवरों को ब्रिटेन में अस्थायी वीजा के माध्यम से काम करने में आसानी होगी.
आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
यह समझौता केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा. साल 2030 तक यानी 5 साल के बाद भारत और ब्रिटेन 'UK-India Vision 2035' के तहत रक्षा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, जलवायु, और नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे. हालांकि फिलहाल ये यह कहना कि किसे ज्यादा फायदा होगा, ये जटिल है, क्योंकि दोनों देशों को अलग-अलग क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे.