नई दिल्ली
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ अपना व्यापार युद्ध बढ़ा रहे थे ठीक उसी समय चीन ने भारत के साथ शांतिपूर्वक संबंध सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इसकी पहल चीन के द्वारा ही शूरू की गई। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत एक चिट्ठी भेजी, इसके बाद भारत ने भी अपने प्रयासों को तेज कर दिया। ब्लूमबर्ग ने इस मामले से परिचित एक भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई। इस पत्र में चीन ने किसी भी ऐसे किसी भी अमेरिकी समझौते पर चिंता व्यक्त की थी जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। शी का यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया गया था।
जून में शुरू हुए प्रयास
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मोदी सरकार ने जून में चीन के साथ संबंधों को सुधारने के लिए गंभीर प्रयास करना शुरू किया। उस समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं तनावपूर्ण हो रही थीं और मई में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों की लड़ाई के बाद ट्रंप के युद्धविराम कराने के दावों से भारत नाराज था।
7 साल बाद चीन जाएंगे मोदी
अगस्त तक भारत और चीन के बीच संबंध सुधारने की प्रक्रिया तेज हो गई। ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित होकर दोनों देशों ने पिछले सप्ताह 2020 के घातक सीमा संघर्ष को पीछे छोड़ने के लिए एक बड़ा कदम उठाया। दोनों देश अपने औपनिवेशिक काल से चले आ रहे सीमा विवादों को हल करने के प्रयासों को दोगुना करने पर सहमत हुए। इन तमाम कोशिशों के बाद इस सप्ताह के अंत में पीएम मोदी सात साल में पहली बार चीन की यात्रा करेंगे। भारत-चीन के बीच सुलह के अमेरिका के लिए गहरे निहितार्थ हैं। अमेरिका ने पिछले कुछ दशकों में लगातार शक्तिशाली हो रहे चीन को संतुलित करने के इरादे से भारत को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के कारण भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाकर इस समीकरण को बदल दिया। ट्रंप का फैसला एक ऐसा बदलाव था जिसने मोदी सरकार को चौंका दिया।
पूर्व दूत का ट्रंप पर तंज
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ फेलो और भारत में पूर्व अमेरिकी राजनयिक एशले टेलिस ने व्यंगात्मक लहजे में कहा, "ट्रंप वास्तव में एक महान शांतिदूत हैं। भारत और चीन के बीच इस उभरती हुई सुलह को बढ़ावा देने का सारा श्रेय उन्हें ही जाता है।" उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने अकेले ही भारत को एक दुश्मन की तरह व्यवहार करके यह सब हासिल किया है।" इस मामले पर भारत या चीन की तरफ से फिलहाल आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा है।