भारत-चीन सहयोग से डॉलर हो सकता है आधा, ट्रंप के टैरिफ पर बाबा रामदेव का मंत्र

 नई दिल्ली 
अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाए जाने के फैसले को लेकर भारत में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कड़ा विरोध सामने आ रहा है। योग गुरु बाबा रामदेव ने अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर टैरिफ लगाए जाने के विरोध में देशवासियों से अमेरिकी कंपनियों और ब्रांड्स के बहिष्कार की अपील की है। बाबा रामदेव ने ट्रंप के इस कदम को राजनीतिक दबंगई, गुंडागर्दी और तानाशाही करार दिया। कहा कि भारतवासियों की प्रतिभा का अमेरिका को अंदाजा नहीं है। इस तरह के संकट ही नए अवसर पैदा करते हैं। अगर भारत , रूस, चीन और कुछ देश मिलकर आ जाएं तो डॉलर आधी कीमत का रह जाएगा।

बाबा रामदेव ने कहा, “भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ का कड़ा विरोध करना चाहिए। अमेरिकी कंपनियों और ब्रांड्स का पूरी तरह से बहिष्कार होना चाहिए। कोई भी भारतीय पेप्सी, कोका-कोला, सबवे, KFC या मैकडॉनल्ड्स के काउंटर पर नजर नहीं आना चाहिए। इतना बड़ा बहिष्कार होना चाहिए कि अमेरिका में हड़कंप मच जाए, वहां महंगाई इतनी बढ़े कि ट्रंप को खुद अपने फैसले वापस लेने पड़ें। ट्रंप ने भारत के खिलाफ जाकर बड़ी गलती की है।”
भारत और चीन मिल जाएं तो डॉलर आधा

बाबा रामदेव ने आगे कहा कि चुनौतियां तो नए अवसर देती है। यहां अगर किसी की नौकरी जाने की संभावना बनती है तो नए रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए। भारत के उद्यमियों को टैक्स, जीएसटी और तमाम तरह के रियायतें देकर मजबूती देनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि देश इस चुनौती से निसंदेह निपटेगा और सशक्त बनकर उभरेगा। अगर भारत, रूस, चीन और कुछ देश मिल जाएं तो डॉलर आधी कीमत का रह जाएगा।

अमेरिका में ही घिरे ट्रंप
गौरतलब है कि अमेरिका ने अगस्त की शुरुआत में भारत पर 25% टैरिफ लगाया था। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 अगस्त से लागू होने वाले अतिरिक्त 25% टैरिफ की घोषणा की। यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीद जारी रखने के कारण उठाया गया। इधर, अमेरिकी कांग्रेस की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेट्स ने भी राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भारत पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी नागरिकों को नुकसान हो रहा है और अमेरिका-भारत संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

कमेटी ने सवाल उठाया कि “यदि ट्रंप प्रशासन ने किसी भी देश पर रूस से तेल खरीदने को लेकर सेकेंडरी सैंक्शन्स का फैसला किया होता तो बात अलग थी, लेकिन केवल भारत को ही निशाना बनाना सबसे उलझन भरा कदम है। चीन, जो रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहा है, वह अब भी रियायती कीमतों पर तेल ले रहा है और उस पर किसी तरह की सजा नहीं दी गई।”

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *