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हाईकोर्ट का फैसला: महिला को मायके वालों की ‘कैद’ से रिहा कर पति के पास भेजा गया, पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित

जबलपुर 
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला को उसके परिवार से सुरक्षा देते हुए पति के घर पहुंचाने का आदेश दिया है। यह फैसला छिंदवाड़ा की एक महिला के मामले में आया, जिसने अपने पति के साथ रहने की इच्छा जताई लेकिन परिवार के हस्तक्षेप का डर भी जताया। उसके पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि उसकी पत्नी को बंधक बनाया गया है।

महिला को कोर्ट में पेश करने के आदेश
जस्टिस विवेक अग्रवाल और राम कुमार चौबे की बेंच ने महिला को कोर्ट में पेश करने के बाद यह आदेश दिया। महिला ने कहा कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है, लेकिन उसे डर है कि उसके परिवार वाले उनकी जिंदगी में 'अनुचित और अवैध हस्तक्षेप' कर सकते हैं। इसलिए उसने पुलिस सुरक्षा मांगी।

कोर्ट ने पुलिस को दिए निर्देश
कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे महिला को सुरक्षित रूप से उसके पति के घर, जो कि सीहोर जिले में है, पहुंचाएं। साथ ही, सीहोर के एसपी को जोड़े की सुरक्षा का जायजा लेने और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा, 'महिला की दलीलों को सुनने और यह संतुष्ट होने के बाद कि वह वयस्क है, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी सबूतों से पुष्टि होती है, हम पुलिस कर्मियों से अनुरोध करते हैं जिन्होंने बंदी को लाया है, उसे सुरक्षित हिरासत में याचिकाकर्ता के घर ले जाएं, क्योंकि शादी विधिवत पंजीकृत है और वे विधिवत विवाहित पति-पत्नी हैं।'

एसपी को दिए आदेश
कोर्ट ने आगे कहा, 'हम सीहोर के अधीक्षक पुलिस से भी अनुरोध करते हैं कि वे खतरे की आशंका का परीक्षण करें और उचित सुरक्षा प्रदान करें और सीहोर के संबंधित पुलिस स्टेशन बारघाट को निर्देश दें कि जब भी याचिकाकर्ता या बंदी किसी अनुचित घटना की रिपोर्ट करें, तो पुलिस स्टेशन बारघाट, सीहोर को उचित संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और उनके मामले को सहानुभूतिपूर्वक निपटाना चाहिए।'

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