रांची
झारखंड में शिक्षा मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता रामदास सोरेन के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है। शनिवार, 16 अगस्त 2025 को उनके पार्थिव शरीर को रांची लाया गया, जहां राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो, विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी, मंत्रियों, विधायकों और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सोरेन का निधन शुक्रवार रात दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ। इस दुखद घटना के बाद झारखंड सरकार ने शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया और सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा।
रांची में दी गई श्रद्धांजलि
जानकारी के मुताबिक, रामदास सोरेन के पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर लाया गया। इसके बाद उनके शरीर को विधानसभा परिसर में रखा गया, ताकि लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और राज्यसभा सांसद महुआ माजी सहित कई नेताओं ने विधानसभा परिसर में सोरेन को श्रद्धांजलि दी। विधानसभा परिसर में भारी भीड़ उमड़ी और लोग लोकप्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए जुटे। कई जेएमएम और कांग्रेस नेताओं ने हवाई अड्डे पर भी पुष्पांजलि अर्पित की।
राज्यपाल और नेताओं का शोक संदेश
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने विधानसभा परिसर में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने एक सप्ताह पहले दिल्ली के अस्पताल में सोरेन से मुलाकात की थी। उस समय उन्हें बताया गया था कि सोरेन ब्रेन डेड की स्थिति में हैं और ऐसी स्थिति में ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने अपनी पूरी कोशिश की। गंगवार ने सोरेन के परिवार से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि रामदास सोरेन का असामयिक निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि सोरेन झारखंड अलग राज्य आंदोलन के सिपाही और योद्धा थे। उन्होंने विधायक और फिर मंत्री के रूप में शानदार काम किया।
कैसी थी रामदास सोरेन की स्वास्थ्य स्थिति?
रामदास सोरेन की तबीयत दो अगस्त को जमशेदपुर में अपने आवास के बाथरूम में गिरने के बाद बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें तत्काल दिल्ली के एक अस्पताल में एयरलिफ्ट किया गया। वहां उनकी स्थिति गंभीर बनी रही और वे जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। दिल्ली के अस्पताल में वरिष्ठ विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम उनकी स्थिति पर नजर रख रही थी और गहन चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रही थी। 62 वर्षीय जेएमएम नेता ने शुक्रवार रात अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने उनके समर्थकों और सहयोगियों को गहरे सदमे में डाल दिया।
अंतिम यात्रा और राजकीय शोक
सोरेन के पार्थिव शरीर को विधानसभा परिसर में श्रद्धांजलि के बाद उनके विधानसभा क्षेत्र घाटशिला ले जाया गया। वहां इसे मऊ भंडार मैदान और जेएमएम कैंप कार्यालय में रखा गया, ताकि लोग अंतिम दर्शन कर सकें। सोरेन के निजी सचिव अजय सिन्हा ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया जा रहा है। झारखंड सरकार ने उनके निधन पर शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा और कोई आधिकारिक समारोह आयोजित नहीं किया गया। यह कदम सोरेन के प्रति सम्मान और उनके योगदान को याद करने का प्रतीक था।
नेताओं की श्रद्धांजलि और संवेदनाएं
परिवहन, राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की। हेमंत सोरेन अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म में व्यस्त होने के कारण रांची में मौजूद नहीं थे। बिरुआ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वे हेमंत सोरेन की ओर से रामदास दा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। अन्य नेताओं, जैसे महुआ माजी और केशव महतो कमलेश, ने भी सोरेन की सादगी और उनके योगदान को याद किया। इस घटना ने जेएमएम और पूरे राज्य की राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया है।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
रामदास सोरेन के निधन ने झारखंड की राजनीति और समाज में गहरी छाप छोड़ी है। वे न केवल एक कुशल नेता थे, बल्कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के एक प्रमुख योद्धा भी थे। शिक्षा और साक्षरता विभाग के मंत्री के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। उनके निधन ने उनके समर्थकों और सहयोगियों को गहरे दुख में डुबो दिया। लोग उन्हें एक सादगी भरे और समर्पित नेता के रूप में याद कर रहे हैं, जिन्होंने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया।