Headlines

वन नेशन, वन इलेक्शन’ रिपोर्ट पर सरकार ने कुल 95 हजार 344 रुपये खर्च किए, आरटीआई से हुआ खुलासा

नई दिल्ली
'वन नेशन, वन इलेक्शन' योजना, जिसे लेकर उच्च स्तरीय कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार की है, इस रिपोर्ट के खर्च को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। आरटीआई (RTI) के माध्यम से सामने आई जानकारी के अनुसार, इस रिपोर्ट को तैयार करने में सरकार ने कुल 95 हजार 344 रुपये खर्च किए, यानी प्रति दिन लगभग 491 रुपये का खर्च आया। यह खुलासा RTI के जवाब में किया गया है।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है?
'वन नेशन, वन इलेक्शन' का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल सरकारी खर्च में कमी आएगी, बल्कि प्रशासनिक कामकाज में भी सुधार होगा और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा। इस योजना के तहत चुनावों के आयोजन में होने वाले खर्च और प्रशासनिक दबाव को घटाने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसने इस रिपोर्ट को तैयार किया। कमेटी के अन्य सदस्य थे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे, संजय कोठारी और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल। कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था, और उसने 14 मार्च 2024 को रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।  
 
रिपोर्ट तैयार करने में आया कितना खर्च?
RTI से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट को तैयार करने में कुल 95 हजार 344 रुपये का खर्च आया। यह खर्च रिपोर्ट के ड्राफ्ट, रिसर्च, ट्रैवल, प्रिंटिंग और पब्लिकेशन सहित कई श्रेणियों में बांटा गया है। हालांकि, रिपोर्ट तैयार करने वाले कमेटी के सदस्यों ने कोई भी फीस नहीं ली। वे सभी बिना किसी भुगतान के इस कार्य में शामिल हुए। इस खर्च का विवरण अलग-अलग कैटेगरी में आया है, जिसमें कार्यालय खर्च, प्रोफेशनल फीस, टेलीकम्यूनिकेशन, कंप्यूटर खर्च और डिजिटल उपकरण शामिल हैं। रिपोर्ट तैयार करने में जो समय लगा, उस दौरान इन खर्चों को ध्यान में रखते हुए यह आंकड़ा पेश किया गया है।

कमेटी के सदस्यों ने नहीं ली कोई फीस
रिपोर्ट तैयार करने वाली इस कमेटी के सदस्य सभी प्रमुख और सम्मानित व्यक्ति हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन सदस्यों ने इस कार्य के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया। रिपोर्ट तैयार करने के लिए उनके द्वारा दी गई सेवाएं पूरी तरह से नि:शुल्क थीं, जो एक महत्वपूर्ण बात है।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' के फायदे
सरकार के अनुसार, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से न केवल खर्च में कमी आएगी, बल्कि यह प्रशासनिक कामकाज की गति को भी बढ़ाएगा। एक साथ चुनाव कराने से चुनावी आदर्शों का पालन सुनिश्चित होगा और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया जा सकेगा। हालांकि, इस प्रस्ताव पर राजनीतिक बहस जारी है, और कई लोगों का मानना है कि इससे राज्यों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर असर पड़ सकता है। इस प्रस्ताव पर अब चर्चा जारी है, और यह देखना बाकी है कि भविष्य में इसे लेकर कौन-कौन सी विधायिकाएं और निर्णय लिए जाएंगे।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *