गिल का धमाका! डॉन ब्रेडमैन का रिकॉर्ड चकनाचूर, बना नया इतिहास,लगाई रिकॉर्ड्स की झड़ी

मैनचेस्टर

भारत-इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में शुभमन गिल ने इतिहास रच दिया. आसमान में छाए भारी बादलों और आलोचनाओं के बीच शुभमन गिल ने अपने करियर की सबसे अहम पारी खेली. इस टेस्ट मैट की दूसरी पारी में जब गिल क्रीज पर आए तब भारत की हालत बेहद खराब थी. पहले ही ओवर में दोनों सलामी बल्लेबाज़ आउट होकर पवेलियन लौट चुके थे और स्कोर था शून्य पर दो विकेट.

गिल की कप्तानी पर सवाल उठ रहे थे. खासकर इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान फील्डिंग सेटिंग्स और गेंदबाज़ों के बदलाव को लेकर.लेकिन गिल ने जवाब दिया. बल्ले से, वह भी मुश्किल हालात में. 25 वर्षीय कप्तान ने पॉइंट की दिशा में एक करारा कट मारते हुए अंतिम दिन सुबह शतक पूरा किया. वह 78 रन पर नाबाद थे जब उन्होंने चौथे दिन दो सेशन तक केएल राहुल के साथ इंग्लैंड के गेंदबाज़ों का डटकर सामना किया.

गिल ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड

यह गिल का इस सीरीज में चौथा शतक था. ऐसा करने वाले वह सिर्फ तीसरे भारतीय हैं.उनसे पहले यह कारनामा सिर्फ सुनील गावस्कर (1971, 1978) और विराट कोहली (2014-15) ने किया था. उन्होंने डॉन ब्रैडमैन का 86 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. इंग्लैंड में एक टेस्ट सीरीज़ में सबसे ज़्यादा शतक लगाने वाले कप्तान अब गिल हैं (4 शतक). ब्रैडमैन ने 1938 एशेज में 4 शतक लगाए थे.

टेस्ट कप्तान के रूप में पहली सीरीज़ में सर्वाधिक रन

810 – सर डॉन ब्रैडमैन (ऑस्ट्रेलिया) बनाम इंग्लैंड, 1936/37 (घरेलू)
722* – शुभमन गिल (भारत) बनाम इंग्लैंड, 2025 (विदेशी)**
702 – ग्रेग चैपल (ऑस्ट्रेलिया) बनाम वेस्टइंडीज, 1975/76 (घरेलू)
636 – क्लाइव लॉयड (वेस्टइंडीज) बनाम भारत, 1974/75 (विदेशी)
582 – पीटर मे (इंग्लैंड) बनाम दक्षिण अफ्रीका, 1955 (घरेलू)

वहीं, गिल अब एक सीरीज़ में 700+ रन बनाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज़ बन गए. उन्होंने यशस्वी जयसवाल के 712 रन (2024) को पीछे छोड़ दिया.अब उनसे आगे केवल सुनील गावस्कर (774 रन, वेस्टइंडीज 1971) हैं.

गिल ने पारी की शुरुआत हैट्रिक बॉल का सामना करते हुए की.मगर उन्होंने दबाव में झुकने की बजाय पलटवार किया.सॉफ्ट हैंड्स और सटीक फुटवर्क की मदद से उन्होंने रन बटोरने शुरू किए और फिर टेस्ट बल्लेबाज़ी की रफ्तार में रम गए.

गिल की यह पारी क्यों है खास?

2021 में गाबा पर खेली गई उनकी 91 रन की पारी अब तक सबसे चर्चित थी, लेकिन यह शतक अलग था. कप्तानी के दबाव, इंग्लैंड की कठिन परिस्थितियों और टीम के संकट में यह पारी परिपक्वता और धैर्य का प्रतीक बन गई.

राहुल के साथ 188 रनों की साझेदारी ने भारत को संभाला.दोनों ने लगातार दो सेशन इंग्लैंड के तेज़ और स्पिन आक्रमण को झेला.जेम्स एंडरसन जैसे गेंदबाज़ की नई गेंद की स्पेल को उन्होंने शांतिपूर्वक खेला और पहली बार सीरीज़ में एक जोड़ी ने लगातार दो सत्रों तक दबदबा बनाया.

पारी के दौरान उंगली पर चोट लगने के बावजूद गिल टस से मस नहीं हुए.उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाज़ी की और कभी घबराए नहीं.दौरे से पहले उन्होंने कहा था कि वह कप्तानी और बल्लेबाज़ी को अलग रखना चाहते हैं, और इस पारी में उन्होंने सचमुच वह संतुलन दिखाया.

 

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