सोलर लैंप से सामुदायिक लाइब्रेरी तक… जीविका महिलाएं बदल रहीं बिहार का भविष्य

पटना,

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का ‘जीविका दीदियों’ का ये विजन आज सुपर हिट साबित हो रहा है। वो न केवल बिहार के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक विकास की नई कहानी लिख रही है। उनकी भूमिका अब हर क्षेत्र में नजर आ रही है। उन्‍होंने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भी महत्‍वपूर्ण रोल अदा किया है। आज जीविका दीदियों की 60,000 से ज्यादा सक्रीय ग्राम संगठन हैं।

4.25 करोड़ लगाए पेड़
जीविका गांव की महिलाओं के लिए केवल आजीविका के नए रास्ते खोल नहीं रही हैं, बल्कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और मनरेगा का भी सहयोग कर रहीं हैं। जिसका नतीजा है कि अब तक 987 पौधशालाएं तैयार की गई हैं। जिसके जरिए 4.25 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं।

महिलाओं को मिल रही अलग पहचान
यही नहीं, मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना के तहत 4,500 महिलाओं को मलबरी की खेती और रेशम कीट पालन से जोड़ा गया है। इससे हजारों परिवारों को स्थायी आय का नया जरिया मिला है। जो महिलाओं को आत्‍मनिर्भर तो बना ही रहा है, उन्‍हें समाज में अलग पहचान भी दिला रहा है।

सोलर लैंप बना रहीं दीदियां
जीविका की सक्रीय महिला समूह की महिलाएं आज सोलर लैंप बनाने का भी काम कर रही हैं। जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है। बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस काम में 372 महिलाएं लगी हुई हैं। जिन्‍हें रोजगार तो मिल ही रहा है, गांव भी रोशन हो रहे हैं। आज इन महिलाओं के पहचान एक उद्यमी के रूप में भी बन रही है। गया जिले की जे-डब्लूआईआरईएस कंपनी भी इस काम को गति दे रही है।

33 जिलों के सामुदायिक पुस्‍तकालयों में दबदबा
 इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी पहल हो रही है। बिहार के 33 जिलों के 110 प्रखंडों में सामुदायिक पुस्तकालय सह कैरियर विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। जहां ग्रामीण बच्चों को पढ़ाई और करियर मार्गदर्शन मिल रहा है। आर्थिक आत्मनिर्भरता से लेकर सामाजिक बदलाव तक, जीविका महिलाओं की यह यात्रा बिहार के गांवों को नई पहचान दिला रही है।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *