मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या में वृद्धि से पर्यावरण संतुलन में सुधार हुआ

 उमरिया
 तीन दशक पहले बीमार गायों के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा डाईक्लोफेनिक की वजह से खात्मे की ओर बढ़ रही गिद्धों की संख्या अब बढ़ने लगी है। इस वर्ष 17, 18 और 19 फरवरी को होने वाली गिद्धों की गणना में गिद्धों का आंकड़ा 12 हजार के पार होने की उम्मीद जाग रही है।

पिछली गणना में गिद्धों की संख्या 10 से 11 हजार के बीच थी। मध्य प्रदेश में गिद्धों को संरक्षित करने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका परिणाम है कि गिद्धों की संख्या और उनके आवास में वृद्धि हो रही है।

वर्ष 2016-17 में प्रदेश में गिद्धों की संख्या महज सात हजार 29 थी, जो अगले साल यानी वर्ष 2018-19 में बढ़कर बढ़कर आठ हजार तीन सौ 97 हो गई। गिद्धों की संख्या में संरक्षण की वजह से अगली गणना वर्ष 2020-21 में भी वृद्धि दर्ज की गई। इस साल गिद्धों की संख्या नौ हजार चार सौ 46 हो गई।

वर्ष 2022-23 में यह संख्या दस हजार हो गई और वर्ष 2024 में यह संख्या दस से ग्यारह हजार के बीच हो गई। गिद्धों की संख्या की वृद्धि का यह सिलसिला थमा नहीं है इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश में 12 हजार से ज्यादा गिद्ध होंगे।

यहां हैं ज्यादा गिद्ध

पिछली गणना के दौरान पन्ना जिले में गिद्धों की संख्या सबसे ज़्यादा है। इसके अलावा श्योपुर, मंदसौर, और छतरपुर ज़िलों में भी अच्छी संख्या में गिद्ध दिखाई देते हैं। मंदसौर जिले में 681 गिद्ध पाए गए थे।

छतरपुर जिले में 659 कुनो वन्य जीव वन प्रभाग में 406 गिद्ध, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 229 गिद्ध दिखाई दिए थे। पृथ्वी के इकोसिस्टम के लिए गिद्ध का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि एकमात्र प्राणी है जो सड़े हुए मांस को खत्म करता है।

प्रदेश में सात तरह के गिद्ध

दुनिया में कुल 22 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में सिर्फ नौ तरह के गिद्ध पाए जाते हैं। इनमें मध्य प्रदेश में सात प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश में सफेद गिद्ध, चमर गिद्ध, देसी गिद्ध, पतल चोंच गिद्ध, राज गिद्ध, हिमालयी गिद्ध, यूरेशियाई गिद्ध और काला गिद्ध की मौजूदगी मिली है।

यह संख्या और बढ़ जाएगी

    प्रदेश में गिद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गिद्धों के संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। इस वर्ष होने वाली गणना में यह संख्या और बढ़ जाएगी इसकी हमें उम्मीद है। – शुभरंजन सेन, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मध्य प्रदेश

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *