राजनीति में सरप्राइज! शिंदे और आदित्य के बीच फडणवीस का मंच साझा करने की चर्चा

मुंबई
महाराष्ट्र की राजनीति में बीते तीन सालों में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुटों में नदी के दो पाटों जैसा विभाजन है। एकनाथ शिंदे ने 2022 में शिवसेना से बगावत की थी और तब से अब तक उद्धव ठाकरे गुट से उनके रिश्तों में कोई सुधार या मधुरता नहीं दिखी है। इस बीच चर्चाएं तेज हैं कि क्या एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य एक मंच पर नजर आएंगे। दरअसल 14 अगस्त को मुंबई के वर्ली में बीडीडी चॉल पुनर्विकास योजना के पहले चरण के तहत 556 लाभार्थियों को घर की चाबियां दी जानी हैं। इस आयोजन में सीएम देवेंद्र फडणवीस रहेंगे। इसके अलावा डिप्टी सीएम के तौर पर एकनाथ शिंदे की भी मौजूदगी रहेगी।

वर्ली से आदित्य ठाकरे विधायक हैं और प्रोटोकॉल के तहत उन्हें भी इस कार्यक्रम का न्योता दिया गया है। इसी के चलते कयास लग रहे हैं कि क्या आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे एक मंच पर आएंगे। यदि आए तो यह बीते बीते कुछ सालों में महाराष्ट्र की राजनीति की सबसे दुर्लभ तस्वीर होगी, जब शिवसेना के दोनों गुटों के नेता एक साथ दिखेंगे। यह कार्यक्रम म्हाडा द्वारा माटुंगा स्थित यशवंत नाट्य मंदिर में रखा गया है। आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहेंगे और चाबियां उन्हीं के द्वारा वितरित की जाएंगी।

कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का प्रमुख रूप से उल्लेख है। इसके अलावा वर्ली के स्थानीय विधायक आदित्य ठाकरे और स्थानीय सांसद अरविंद सावंत को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना पिछले कुछ वर्षों से चर्चा में है। इस परियोजना का काम महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान ही शुरू हुआ था और फिर महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में जारी रहा। अब इसका पहला चरण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में पूरा हो चुका है। ऐसे में इस परियोजना का श्रेय लेने के लिए राजनीतिक जंग छिड़ना भी तय है।

क्या है BBD प्रोजेक्ट, 100 साल पुराना है इतिहास
कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि 14 अगस्त को होने वाला यह आयोजन सिर्फ चाबियों के वितरण तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो सकता है। दरअसल मुंबई में बॉम्बे डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट के तहत ब्रिटिश दौर में 1920 से 1925 तक रिहायशी इमारतें तैयार की गई थीं। अब ये काफी पुरानी और जर्जर हो चुकी हैं। ऐसे में इनका पुनर्विकास किया जा रहा है। इसका पहला राउंड फिलहाल पूरा हुआ है। भारत में ब्रिटिश काल में हुए शहरी विकास के तहत इसे सबसे बड़ा प्रोजेक्ट माना गया था।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *