भोपाल
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में 5 साल पहले कांग्रेस सरकार गिरने पर खुलकर बातचीत की और कमलनाथ को जिम्मेदार ठहराया है. दिग्विजय ने आरोप लगाया कि कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की वो मांग नहीं मानी, जिस पर डिनर के दौरान सहमति बनी थी. इसी कारण सरकार गिर गई.
बातचीत में दिग्विजय ने कहा, इस बात का दुख है कि हमें जिन पर पूरा भरोसा था, उन लोगों ने धोखा दे दिया. आइडियोलॉजिकल क्लैश नहीं था. ये क्लैश ऑफ पर्सनालिटी हो गया. दिग्विजय से जब पूछा गया कि अगर कमलनाथ ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़ी मांगें मान लेते तो शायद यह नौबत नहीं आती? इस पर उन्होंने स्वीकार किया कि शायद फिर यह नौबत नहीं आती.
दरअसल, मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था और 15 साल के लंबे इंतजार के बाद सत्ता में वापसी की थी. पार्टी ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि, अंदरखाने नाराजगी की खबरें आती रहीं. इस बीच, 15 महीने बाद सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए. कई विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी और सिंधिया खेमे में चले गए. जिससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा.
दिग्विजय ने बताया- कैसे गिरी थी कमलनाथ सरकार?
सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर रही कि दिग्विजय और सिंधिया के बीच लड़ाई के कारण कांग्रेस सरकार गिर गई. अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कयासों पर विराम लगाया है. MPTak के साथ विशेष पॉडकास्ट में दिग्विजय ने पहली बार इस मामले में चुप्पी तोड़ी और बताया कि कमलनाथ की सरकार कैसे गिरी थी. उन्होंने एक इंडस्ट्रियलिस्ट के घर सिंधिया और कमलनाथ के डिनर की वो कहानी भी बताई.
दिग्विजय से जब पूछा गया कि कहा जाता है कि आपकी वजह से कमलनाथ सरकार गिरी? इस पर उन्होंने कहा, ये प्रचारित किया गया कि मेरी और सिंधिया की लड़ाई की वजह से कमलनाथ की सरकार गिर गई. लेकिन सच्चाई ये नहीं है. मैंने चेताया था कि ऐसी घटना हो सकती है. दिग्विजय का कहना था कि मेरा दुर्भाग्य है कि शायद मेरी कुंडली में यह है कि मुझ पर हमेशा वह आरोप लगेगा जिसमें मैं दोषी नहीं हूं.
दिग्विजय ने सुनाई डिनर की वो कहानी
दिग्विजय का कहना था कि एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट हैं. मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगा. कमलनाथ और सिंधिया दोनों से उनके अच्छे संबंध हैं. मैं उनके पास गया और कहा कि देखिए इन दोनों की लड़ाई में हमारी सरकार गिर जाएगी. आप जरा संभालिए, क्योंकि आपके दोनों से अच्छे संबंध हैं.
दिग्विजय ने बताया कि उनके घर डिनर रखा गया और मैं भी उसमें शामिल हुआ. मैंने बहुत कोशिश की कि ये मामला निपट जाए. वहां पर सभी इश्यूज को लेकर एक लिस्ट तैयार हुई, लेकिन उसका पालन नहीं हो पाया. ये बात सच है कि तमाम प्रयासों के बावजूद कमलनाथ सरकार नहीं बच पाई. मेरा ना माधवराव सिंधिया से कोई विवाद था, ना ज्योतिरादित्य से कोई विवाद था.
दिग्विजय से पूछा गया कि डिनर मीटिंग में कौन-कौन मांगें रखी गईं थीं? उन्होंने कहा, छोटी-मोटी बातें हुईं थी. ये हुआ था कि ग्वालियर-चंबल संभाग में जैसा हम दोनों कहेंगे, वैसा कर देंगे. हम दोनों ने दूसरे दिन विशलिस्ट बनाकर दे दिया, मैंने भी दस्तखत किए. लेकिन विशलिस्ट का पालन नहीं हुआ.