एमपी विश्वविद्यालयों में नई पहल: गीता की पढ़ाई से छात्रों को क्रेडिट अंक

भोपाल
युवाओं के मन में नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए मध्य प्रदेश सरकार श्रीमदभागवत गीता की ओर मुड़ी है। तय हुआ है कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की स्नातक स्तर की कक्षाओं में नियमित तौर पर श्रीमदभागवत गीता पढ़ाई जाएगी। इसकी कक्षाएं ऑनलाइन चलेंगी और इसके लिए विद्यार्थियों को तीन क्रेडिट अंक दिए जाएंगे। उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा में ही इस पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है।

18 अध्यायों को पांच भागों में विभाजित किया
इसके तहत गीता के 18 अध्यायों को पांच भागों में विभाजित कर पाठ्यक्रम तय किया गया है। इन्हें 45 घंटों में पूरा किया जाना है। इन कक्षाओं को सप्ताह में पांच दिन चलाया जाएगा। कक्षाएं ऑनलाइन चलेंगी और विद्यार्थियों को यह सुविधा होगी कि अपने सुविधा के अनुसार कक्षा का समय और भाषा चुन लें। यह पाठ्यक्रम हिंदी, अंग्रेजी सहित 13 भाषाओं में उपलब्ध होगा। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले विद्यार्थी को क्रेडिट अंक दिए जाएंगे।
 
पाठ्यक्रम के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त
उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं और महाविद्यालयों के प्राचार्यों को इस पाठ्यक्रम के लिए विद्यार्थियों के पंजीयन का आदेश जारी कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय के स्वयं पोर्टल पर यह पंजीयन 31 अगस्त तक होना है। सभी विश्वविद्यालयों औैर महाविद्यालयों से इस पाठ्यक्रम के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है ताकि इसकी निगरानी भी उच्च स्तर से की जा सके।

मुख्यमंत्री ने दिया था विचार
श्रीकृष्ण पाथेय योजना के क्रियान्वयन को लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बैठक की थी। इसमें मुख्यमंत्री का ही विचार था कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान होने वाली प्रतियोगिताओं को विस्तार दिया जाए। अब केवल प्रतियोगिता की जगह विद्यार्थियों को आनलाइन ही गीता पढ़ाई भी जाए ताकि नई पीढ़ी में उस ज्ञान का विस्तार हो।

स्वयं पोर्टल पर ऐसे पाठ्यक्रम भी
– किशोर स्वास्थ्य
– अपना आहार
– प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा प्रबंधन
– परिचयात्मक नीतिशास्त्र
– योग शिक्षक प्रशिक्षण
(इन ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए भी क्रेडिट अंक निर्धारित हैं)

अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा ने कहा नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा और मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर है। इसी में श्रीमदभागवत गीता का अध्ययन शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों में सांस्कृतिक मूल्यों और भारतीय चिंतन परंपरा के प्रति समझ बढ़ेगी।

 

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