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कलेक्टर नेहा मीना ने अनुभवी महिलाओं को जोड़ते हुए ‘मोटी आई’ का अभियान चलाकर 1130 बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला

झाबुआ

कलेक्टर नेहा मीना ने कुपोषण दूर करने व पोषण आहार को बढ़ावा देने के लिए अनूठी पहल की। उन्होंने गांव की अनुभवी महिलाओं को जोड़ते हुए उन्हें ‘मोटी आई’ का नाम दिया। इनके माध्यम से अभियान चलाकर कुपोषण से जंग लड़ी गई। इसके लिए कलेक्टर को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कार 2024 मिला है।

21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में कलेक्टर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुरस्कार देंगे। देश के कुल 16 सिविल सेवकों को यह पुरस्कार मिलने जा रहा है। जनजातीय क्षेत्र झाबुआ के लिए यह गौरव की बात है।

मोटी आई अवधारणा राष्ट्रीय स्तर पर पसंद की गई है। पांच चरणों की विस्तृत प्रक्रिया के बाद कलेक्टर मीना का चयन किया गया। इसी साल चार अप्रैल को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी ने इंटरव्यू के बाद कलेक्टर को चयनित किया।

गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद पुरस्कार की घोषणा की गई। यह पुरस्कार आकांक्षी ब्लाक कार्यक्रम के तहत मिला है। पुरस्कार का लक्ष्य अच्छे प्रशासन को पहचान देना और दूसरों को लिए प्रेरणा बनाना है।

ऐसे चलाया कार्यक्रम

    ग्रामीण भारत को मुख्यधारा से जोड़ने का यह कार्यक्रम आधुनिक मॉडल है। इसके तहत जिले में जनता को सीधे जोड़ा गया है और योजनाओं को जमीन तक पहुंचाया गया है।

    जुलाई 2024 के आंकड़े के अनुसार जिले में 1950 बच्चे कुपोषण के शिकार थे, जिनमें से करीब 1130 बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाया गया है।

    1325 मोटी आई जिले में प्रशिक्षित की गईं और उन्होंने घर-घर जाकर कुपोषण से लड़ने में महती भूमिका अदा की।

इलेक्टोरल प्रैक्टिस अवार्ड भी मिल चुका है

उल्लेखनीय है कि इसी साल 25 जनवरी को कलेक्टर मीना को बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिस अवार्ड 2024-25 से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने सम्मानित किया था। स्थानीय संस्कृति को जोड़कर मतदाता जागरूकता बढ़ाई गई थी। चुनावी काका- काकी, शुभंकर आदि का उपयोग किया गया था।

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