चिकनगुनिया का वैश्विक खतरा: WHO ने भारत समेत 119 देशों को किया सावधान

भोपाल 

 करीब 20 साल बाद एक बार फिर चिकनगुनिया का खतरा बढ़ता दिख रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस पर अलर्ट जारी किया है. चिकनगुनिया एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन यह अब तक 119 देशों में पाई जा चुकी है, जिससे करीब 5.6 अरब लोग जोखिम में हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि 20 साल पहले वाले वायरस में जो म्यूटेशन देखे गए थे, वही फिर से सामने आए हैं. भारत जैसे देशों में, जहां मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां पहले से मौजूद हैं, वहां इसका खतरा और बढ़ जाता है.

राजधानी की बात करें तो बीते साल अगस्त के अंत तक चिकनगुनिया के 40 मरीज मिले थे। इस साल अब तक 58 मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। खास बात यह है कि चिकनगुनिया जैसे लक्षण वाले मामले भी तेजी से बढ़े हैं। सभी को बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में अकड़न जैसी शिकायत है, लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आती।

हमीदिया, जेपी और एम्स में एक अगस्त से अब तक 7 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचे हैं। इसमें से 700 से ज्यादा मरीजों की जांच भी हो चुकी है। डॉक्टर बताते हैं कि इस बार मरीजों की सबसे बड़ी शिकायत जोड़ों में दर्द की है। मरीज बताते हैं कि लगता है जैसे हड्डियां आपस में टकरा रही हों।

टेस्ट रिपोर्ट 10 दिन तक पॉजिटिव नहीं आ रही, जिससे पहचान में देरी हो रही है। मरीजों के लिए यह सिर्फ बुखार नहीं, बल्कि हफ्तों तक चलने वाला जोड़ों का कहर है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों के लिए यह और खतरनाक है।

चिकनगुनिया के लक्षण

जीएमसी के एमडी मेडिसिन डॉ. अनिल शेजवार बताते हैं कि इस बीमारी का वायरस शरीर में आने के 4 से 7 दिनों में लक्षण दिखने लगते हैं। तेज बुखार, जोड़ों में तीव्र दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और नसों में खिंचाव, सिरदर्द, थकान, ठंड लगना, मतली, उल्टी, पूरे शरीर पर लाल चकत्ते, आंखों में सूजन और दर्द, डेंगू जैसे लक्षण होने की वजह से कई बार मरीज सही समय पर पहचान नहीं कर पाते।

डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन

  • गंभीर मरीजों (अस्पताल में भर्ती) के लिए: आईवी हाइड्रेशन (ड्रिप) का प्रयोग करें। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और इम्युनोग्लोबिन थेरेपी से बचें। प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन सिर्फ तब करें जब ब्लीडिंग हो। येलो फीवर से लिवर फेलियर होने पर आईवी एन-एसिटाइलसिस्टीन का उपयोग। मोनोक्लोनल इम्युनोग्लोबिन और सोफोसबुविर जैसी दवाएं सिर्फ रिसर्च में।
  • सामान्य या हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए: डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए ओआरएस और तरल पदार्थ दें। दर्द और बुखार के लिए केवल पैरासिटामोल का इस्तेमाल। स्टेरॉइड से बचें।

बचाव ही सबसे बड़ा इलाज जेपी अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि घर और आसपास पानी जमा न होने दें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट, कॉइल और स्प्रे का उपयोग करें। दरवाजों-खिड़कियों पर नेट लगाएं।

भारत में कितना खतरा?

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी बताते हैं कि भारत में मॉनसून के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियां आम हैं और यही चिकनगुनिया के फैलने की सबसे बड़ी वजह बनती है. हालांकि यहां चिकनगुनिया का ज्यादा रिस्क नहीं होता है, लेकिन इस बात सतर्क रहने की जरूरत है.

डॉ भाटी कहते हैं कि चिकनगुनिया कीबीमारी एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलती है, जो दिन में ज्यादा एक्टिव रहते हैं. जब संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके खून में एंटर कर जाता है और शरीर में तेजी से फैलता है. इसका असर शरीर की जोड़ों, मांसपेशियों और नसों पर सबसे ज्यादा पड़ता है, जिससे मरीज को तेज दर्द और कमजोरी का सामना करना पड़ता है.

चिकनगुनिया के लक्षण क्या हैं?

चिकनगुनिया के लक्षण अचानक और तेजी से सामने आते हैं. इसका इनक्यूबेशन पीरियड 2 से 7 दिन होता है यानी वायरस के संक्रमण के कुछ दिनों बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सबसे विशेष लक्षणों में तेज बुखार, तीव्र जोड़ दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन शामिल हैं. यह जोड़ दर्द कई बार इतना गंभीर होता है कि मरीज को हिलने-डुलने में कठिनाई होती है और यह हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है.

इसके अलावा मरीज को सिरदर्द, थकान, ठंड लगना, मतली, उल्टी और पूरे शरीर पर लाल चकत्ते हो सकते हैं. आंखों में दर्द और सूजन भी सामान्य लक्षण हैं. कई मामलों में लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे मरीज को सही पहचान करने में देर हो सकती है. बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है, जो लंबे समय तक स्वास्थ्य पर असर डालता है.

डेंगू, चिकनगुनिया और जीका ऐसी ही तीन खतरनाक बीमारियां हैं जिनका अभी तक कोई स्थायी इलाज या वैक्सीन नहीं है।  यही वजह है कि डॉक्टर सभी लोगों को बचाव के उपायों का पालन करते रहने की सलाह देते रहते हैं। इन बीमारियों की सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि शुरुआती लक्षण साधारण बुखार जैसे होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये जानलेवा रूप ले सकते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मच्छरों से होने वाली तमाम बीमारियां हर साल लोगों के परेशान करती हैं। डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगता है जो गंभीर स्थितियों में जानलेवा भी हो सकता है। चिकनगुनिया महीनों तक जोड़ों में दर्द देता रहता है वहीं जीका वायरस गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए आजीवन खतरा बन सकता है। यानी ये सिर्फ बीमारी नहीं, बल्कि गंभीर चिंता का कारण भी हैं।

डेंगू का खतरा

डेंगू एक वायरल बीमारी है जो एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलती है। दुनियाभर में हर साल लगभग 40 करोड़ लोग डेंगू का शिकार होते हैं। भारत में मानसून के दिनों में और बरसात के बाद यह सबसे ज्यादा फैलता है।

डेंगू के कारण रोगियों को तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे और मांसपेशियों-जोड़ों में दर्द के साथ त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं। गंभीर स्थिति में यह हेमरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम का भी कारण बन सकता है। इसमें प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटने लगती है जो शरीर में अंदरूनी रक्तस्राव का कारण बन सकती है। 

डेंगू का कोई विशेष इलाज मौजूद नहीं है। इसके उपचार में केवल बुखार कम करने, प्लेटलेट्स को कम होने से बचाने और शरीर में पानी की कमी पूरी करने पर ध्यान दिया जाता है। 

चिकनगुनिया का कई महीनों तक दिखता है असर

डेंगू की तरह चिकनगुनिया भी खतरनाक है और इसका भी कोई पुख्ता इलाज नहीं है। चिकनगुनिया के लक्षणों में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, थकान, त्वचा पर लाल चकत्ते और जोड़ों में दर्द-सूजन शामिल है। यह बीमारी वैसे तो कम जानलेवा होती है, लेकिन इसका सबसे बड़ा खतरा लंबे समय तक दर्द और कमजोरी बने रहना है। कई मरीज महीनों तक चलने-फिरने में असमर्थ रहते हैं। 

चिकनगुनिया का भी कोई सीधा इलाज या बचाव के लिए वैक्सीन नहीं है। मरीजों को आराम करने, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और पौष्टिक आहार लेने के साथ दर्द कम करने के लिए पैरासिटामोल दी जाती है।

जीका वायरस का देखा जाता रहा है प्रकोप

जीका वायरस के प्रकोप की खबरें आप भी सुनते रहे होंगे। ये एडीज मच्छर से फैलता है। सामान्यत; इस रोग के कारण हल्का बुखार, आंखों में लालिमा (कंजक्टिवाइटिस), सिरदर्द, त्वचा पर लाल दाने और जोड़ों में दर्द की समस्या देखी जाती है।

हालांकि ये गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए खतरनाक हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती हैं कि अगर गर्भवती महिला को जीका वायरस हो जाए तो बच्चे में माइक्रोसिफली जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसमें बच्चे का सिर और दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता।

जीका का भी कोई विशेष इलाज या वैक्सीन नहीं है। मरीज को सिर्फ लक्षणों को कम करने वाली दवाइयां, आराम और पर्याप्त तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है।

डॉक्टर बताते हैं, इन तीनों बीमारियों से बचाव ही एकमात्र कारगर तरीका है। इसके लिए मच्छरदानी का प्रयोग, पूरी बाजू के कपड़े पहनना और घर के आसपास पानी जमा न होने देना सबसे जरूरी है।

कैसे करें बचाव?

  • घर और आसपास पानी जमा न होने दें.
  • शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें.
  • मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट और कॉइल का इस्तेमाल करें.
  • घर में दरवाजों और खिड़कियों पर मच्छरदानी या नेट लगाएं.
  • बुखार या अन्य लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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