बदलती तस्वीर: बिहार बन रहा पुलों का प्रदेश, नदियों पर जुड़ रहे नए सफर

बिहार बन रहा पुलों का प्रदेश, गंगा-सोन-गंडक-कोसी पर पुलों का हो रहा तेजी से निर्माण

बिहार में पुलों की क्रांति: गंगा, सोन, गंडक और कोसी पर तेज़ी से हो रहा निर्माण

बदलती तस्वीर: बिहार बन रहा पुलों का प्रदेश, नदियों पर जुड़ रहे नए सफर

पटना

बिहार अब पुलों का प्रदेश बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2005 में सत्ता संभालने के बाद से पुल निर्माण में ऐतिहासिक तेजी आई है। पिछले दो दशकों में गंगा, सोन, गंडक और कोसी नदियों पर 15 बड़े पुल बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि 21 पुलों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। हाल ही में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा नदी पर बने 6 लेन वाले औंटा-सिमरिया पुल का उद्घाटन किया। यह पुल देश का सबसे चौड़ा पुल है, जिसकी लंबाई 8.15 किलोमीटर है। इसके चालू हो जाने से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क और मजबूत हुआ है।
राज्य के अधिकांश जिलों में नदियों के जाल के कारण आवागमन लंबे समय से चुनौती रहा है। तीन घंटे में पटना पहुंचने के मुख्यमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नदियों पर मजबूत पुलों का निर्माण जरूरी है। 

गंगा नदी पर पुलों का विस्तार
गंगा नदी पर फिलहाल 8 पुल चालू हैं। नौ पुलों का निर्माण चल रहा है, जबकि तीन और नए पुलों की योजना पर काम शुरू हो गया है। इनमें औंटा-सिमरिया पुल राज्य की जीवनरेखा बनकर उभरा है।

सोन नदी पर सातवां पुल
सोन नदी पर अब तक पांच पुल बन चुके हैं। एक का निर्माण जारी है और दो और पुलों की मंजूरी मिल चुकी है। नया सातवां पुल कोइलवर से 10 किलोमीटर दूर बिंदौल और कोशीहान के बीच बनेगा। वहीं, छठा पंडुका घाट पुल डेहरी ऑन सोन से अकबरपुर-सदुनाथपुर मार्ग को जोड़ेगा। इससे न केवल बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश के लोगों को भी सीधा फायदा मिलेगा।

गंडक और कोसी पर लंबी छलांग
गंडक नदी पर सात पुल तैयार हैं। तीन और निर्माणाधीन हैं तथा चार नए प्रस्तावित हैं। दूसरी ओर कोसी नदी पर अब तक 4 पुल बन चुके हैं और 3 पुल निर्माणाधीन हैं । खासकर मधुबनी जिले के भेजा से सुपौल के बकौर तक बनने वाला पुल पूरे देश का सबसे लंबा पुल होगा। 10.02 किलोमीटर लंबे इस पुल का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत लगभग 1200 करोड़ की लागत से हो रहा है। इसके चालू होते ही मधुबनी और सुपौल की दूरी 30 किलोमीटर घट जाएगी और यातायात में क्रांतिकारी सुधार आएगा।

बिहार में पुलों का यह विस्तार न सिर्फ परिवहन व्यवस्था को सुगम बना रहा है, बल्कि राज्य की आर्थिक और सामाजिक प्रगति की नई राह खोल रहा है। आने वाले वर्षों में जब ये सभी पुल तैयार हो जाएंगे, तब तीन घंटे में पटना का सपना हकीकत बन जाएगा।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *