लीगल इमरजेंसी पर सुप्रीम कोर्ट में बदलाव, अब कभी भी बिना इंतजार इंसाफ मिलेगा

नई दिल्ली

CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत ने अदालतों की कार्य प्रणाली में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी की है। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा है कि मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए कोई भी व्यक्ति आधी रात को भी अदालतों का दरवाजा खटखटा सकेगा। साथ ही शीर्ष न्यायालय ने काम में तेजी लाने के लिए SOP जारी की है, जिसमें वकीलों की दलील और लिखित निवेदन प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा अब आधी रात को भी खुला रहेगा. भारत के चीफ जस्टिस सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि फरियादी इमरजेंसी में आधी रात को भी सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं. सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि अगर किसी नागरिक को कानूनी इमरजेंसी का सामना करना पड़ता है या जांच एजेंसियों द्वारा अजीब समय पर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है, तो वह व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आधी रात को भी संवैधानिक अदालतों से सुनवाई की मांग कर सकेगा.

 सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, ‘मेरा प्रयास है और रहेगा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को लोगों की अदालतें बनाया जाए, जहां कानूनी इमरजेंसी में काम के घंटों के बाद भी किसी भी समय संपर्क किया जा सके.’ उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकताओं में से एक यह है कि कई अहम संवैधानिक मुद्दों से जुड़ी पेंडिंग याचिकाओं से निपटने के लिए जितनी हो सके उतनी संविधान बेंचें स्थापित की जाएं- जैसे कि चुनावी रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का मामला, जो बिहार से शुरू हुआ और अब एक दर्जन राज्यों में चल रहा है.

संवैधानिक पीठ का होगा गठन

 CJI सूर्यकांत ने कहा कि न्यायालयों में भारी संख्या में याचिकाएं लंबित पड़ी हैं, जिनके निपटारे के लिए अधिक से अधिक संवैधानिक पीठ का गठन करने की जरूरत है। इन याचिकाओं में SIR जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। बिहार के बाद 11 राज्यों में SIR प्रक्रिया चल रही है, जिसे अदालत में चुनौती दी गई है।

इधर, सीजेआई ने जल्द न्याय सुनिश्चित करने और इंसाफ के लिए नया सिस्टम लागू कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में कामकाज में सुगमता, जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए एसओपी जारी की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है. इसमें उसके समक्ष पेश होने वाले वकीलों द्वारा दलीलों और लिखित निवेदन प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है. इस कदम का उद्देश्य न्यायालय के कामकाज में सुगमता और न्याय मुहैया कराने की व्यवस्था में तेजी लाना है.

सीजेआई यानी प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों ने सोमवार को एक परिपत्र जारी किया. इसमें सभी मामलों में मौखिक दलीलें प्रस्तुत करने की समयसीमा का पालन करने के लिए एसओपी तय की गई है. तत्काल प्रभाव से लागू इस एसओपी में कहा गया है, ‘वरिष्ठ अधिवक्ता, दलील रखने वाले वकील और रिकॉर्ड पर मौजूद अधिवक्ता, नोटिस के बाद और नियमित सुनवाई वाले सभी मामलों में मौखिक बहस करने की समय-सीमा सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले प्रस्तुत करेंगे. यह समय-सीमा न्यायालय को ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) को पहले से उपलब्ध कराए गए उपस्थिति पर्ची जमा करने के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी.

इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित बहस करने वाले वकील, अपने एओआर या पीठ द्वारा नामित नोडल वकील (यदि कोई हो) के माध्यम से, सुनवाई की तारीख से कम से कम तीन दिन पहले दूसरे पक्ष को एक प्रति देने के बाद संक्षिप्त नोट या लिखित प्रस्तुति दाखिल करेंगे, जो पांच पृष्ठ से अधिक का नहीं होगा. शीर्ष अदालत के चार रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित परिपत्र में कहा गया है, ‘सभी वकील निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करेंगे और अपनी मौखिक दलीलें पूरी करेंगे.’

SOP में क्या है

सीजेआई समेत सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने सोमवार को एक परिपत्र जारी किया है। इसमें मौखिक दलीलें प्रस्तुत करने की समयसीमा का पालन करने के लिए एसओपी तय की गई है।

तत्काल प्रभाव से लागू इस एसओपी में कहा गया है, 'वरिष्ठ अधिवक्ता, दलील रखने वाले वकील और रिकॉर्ड पर मौजूद अधिवक्ता, नोटिस के बाद और नियमित सुनवाई वाले सभी मामलों में मौखिक बहस करने की समय-सीमा सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले प्रस्तुत करेंगे। यह समय-सीमा न्यायालय को ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) को पहले से उपलब्ध कराए गए उपस्थिति पर्ची जमा करने के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी।'

इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित बहस करने वाले वकील, अपने एओआर या पीठ द्वारा नामित नोडल वकील (यदि कोई हो) के माध्यम से, सुनवाई की तारीख से कम से कम तीन दिन पहले दूसरे पक्ष को एक प्रति देने के बाद संक्षिप्त नोट या लिखित प्रस्तुति दाखिल करेंगे। यह पांच पृष्ठ से अधिक का नहीं होगा।

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