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Chandrayaan-3 ने चंद्रमा की सतह तापीय भौतिकी प्रयोग से पानी और बर्फ की खोज में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया

नई दिल्ली

चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर पानी और बर्फ की खोज की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। चंद्रमा की सतह तापीय भौतिकी प्रयोग (ChaSTE) से पानी और बर्फ की खोज में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। विक्रम लैंडर द्वारा किए गए इस प्रयोग ने चांद की उच्च अक्षांश वाली मिट्टी (रेगोलिथ) से असाधारण इन-सीटू तापमान माप प्रदान किए हैं, जिससे चांद के तापीय वातावरण के साथ-साथ पानी और बर्फा के जमा होने की संभावना की उम्मीद जगी है।

इसरो के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) से के दुर्गा प्रसाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "पानी और बर्फ का पता लगाना चंद्रमा पर इंसानों के जीवन की संभावना और आगे की खोज के लिए एक अहम कदम है। चांद के तापमान न केवल पानी और बर्फ को निर्धारित करते हैं, बल्कि यह अन्य वैज्ञानिक और अन्वेषण पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं।"

चंद्रयान-3 मिशन से प्राप्त नई जानकारी को Nature Communications Earth & Environment पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। ChaSTE ने चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 355K (82°C) तक तापमान मापे हैं जो कि अपेक्षित 330K से 25K अधिक था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वृद्धि लैंडर के सूरज की ओर झुके 6° के स्थानीय ढलान पर स्थित होने के कारण हुई।

ChaSTE द्वारा किए गए अवलोकनों के आधार पर, टीम का कहना है कि 14° से अधिक ढलान वाले बड़े पोलर क्षेत्रों में पानी और बर्फ के स्थिर जमा होने की संभावना हो सकती है। ये क्षेत्र कम सौर विकिरण प्राप्त करते हैं और इसलिए तापमान कम बनाए रखते हैं, जिससे वे भविष्य के चांदी अन्वेषण और संभावित मानव जीवन के लिए अधिक उपयुक्त बनते हैं।

चांद पर पानी की खोज और इसके संभावित उपयोग के लिए कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। चंद्रयान-3 से प्राप्त ChaSTE के परिणाम भविष्य के चांद मिशनों और स्थायी मानव जीवन की संभावनाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस डेटा को आगे विश्लेषण किया जाएगा और आगामी शोध प्रकाशित करने की उम्मीद है।

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