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नकली खाद्य पदार्थों पर भड़की BKU, अधिकारियों को दी कड़ी चेतावनी

जीरा 
पंजाब के जीरा शहर में नकली दूध, मिठाइयों और पनीर के बढ़ते कारोबार ने न केवल किसानों की आजीविका को खतरे में डाला है, बल्कि आम लोगों की सेहत को भी गंभीर जोखम में डाल दिया है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए भारतीय किसान यूनियन (कादियां) ने प्रशासन को आठ दिन का समय देते हुए सख्त चेतावनी जारी की है। यूनियन के सूबा नेता दर्शन सिंह मीहा सिंह वाला ने स्पष्ट किया कि यदि नकली उत्पादों के इस कारोबार पर तुरंत रोक नहीं लगी, तो जत्थेबंदी जीरा शहर में रोष मार्च करेगी और संघर्ष को और तेज किया जाएगा। जीरा में इस मुद्दे को लेकर भारतीय किसान यूनियन कादियां की एक अहम बैठक हुई, जिसमें सूबा नेता दर्शन सिंह मीहा सिंह वाला, साहित्यकार गुरचरन सिंह नूरपुर, ब्लॉक प्रधान सुखदेव सिंह सनेर समेत जथेबंदी के कई अन्य पदाधिकारी शामिल थे। बैठक में नकली दूध, मिठाइयों और पनीर के कारोबार के बढ़ते प्रभावों पर चर्चा की गई और प्रशासन की निष्क्रियता पर सख्त नाराजगी जाहिर की गई।

दर्शन सिंह मीहा सिंह वाला ने कहा कि नकली दूध का कारोबार अब केवल दूध तक सीमित नहीं रहा। नकली मिठाइयों और पनीर की बिक्री भी बेरोकटोक जारी है, जो न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है, बल्कि आम लोगों की सेहत को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने आगे कहा कि ये नकली उत्पाद सस्ते दामों पर बिक रहे हैं, जिसके कारण असली दूध और उससे बने उत्पादों की मांग घट रही है। इससे दूध उत्पादक किसानों की आय पर बुरा असर पड़ रहा है।
 
साहित्यकार गुरचरन सिंह नूरपुर ने इस मुद्दे को सामाजिक और आर्थिक तबाही की शुरुआत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल किसानों की लड़ाई नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की लड़ाई है, जो स्वस्थ जीवन जीना चाहता है। नकली मिठाइयों और पनीर में इस्तेमाल होने वाले रसायन और नकली पदार्थ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ब्लॉक प्रधान सुखदेव सिंह सनेर ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इस मुद्दे की गंभीरता का अहसास नहीं है। उन्होंने कहा कि हम आठ दिन का समय दे रहे हैं। यदि इस दौरान नकली उत्पादों के व्यापार पर पाबंदी नहीं लगी और सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो हम सड़कों पर उतरेंगे और पूरे शहर में रोष प्रदर्शन करेंगे।

प्रशासन को आठ दिन का अल्टीमेटम
यूनियन ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष केवल जीरा या किसानों का नहीं, बल्कि समूचे पंजाब के नागरिकों की सेहत और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। नकली उत्पादों का कारोबार न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रहा है, बल्कि आम लोगों के जीवन को भी जोखम में डाल रहा है। इस अवसर पर नेताओं ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से अपील की कि वे नकली उत्पादों की जांच के लिए विशेष टीमें गठित करें और सख्त कानूनी कार्रवाई को अमल में लाएं।

भारतीय किसान यूनियन कादियां के इस अल्टीमेटम ने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विभाग ने जांच शुरू कर दी है और जल्द ही नकली उत्पादों के व्यापार को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, यूनियन के नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे केवल वादों पर नहीं रुकेंगे और जब तक ठोस नतीजे नहीं दिखते, वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे। इस पूरे मामले ने पंजाब में नकली खाद्य पदार्थों के कारोबार पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। समाज के हर वर्ग में इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ रही है और लोग सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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