नक्सल मोर्चे पर बड़ा बदलाव: माओवादी एक महीने के युद्धविराम और शांति वार्ता को तैयार

रांची
मार्च, 2026 तक झारखंड सहित पूरे देश को नक्सल मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ सुरक्षाबलों और पुलिस की ओर से चलाए जा रहे अभियान ने नक्सली संगठनों को बैकफुट पर ला दिया है। बंदूक की नोक पर क्रांति की बातें करने वाले और वर्षों तक हिंसा को रास्ता बनाने वाले भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने एक बार फिर सरकार से वार्ता के लिए शांति प्रस्ताव की पेशकश की है। भाकपा माओवादी की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि नक्सली हथियार छोड़कर वार्ता करने के लिए तैयार हैं। पत्र में लिखा गया है कि पार्टी (भाकपा माओवादी) एक महीने के लिए औपचारिक युद्धविराम चाहती है। साथ ही शुरुआती बातचीत वीडियो कॉल से करने का सुझाव दिया गया है। पिछले छह महीनों में संगठन की ओर से यह प्रस्ताव पांचवीं बार आया है।

प्रेस नोट में कहा गया है कि मार्च 2025 के आखिरी सप्ताह से ही पार्टी शांति वार्ता की कोशिश कर रही है। महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू के एनकाउंटर के बाद यह मुद्दा और तेज हुआ। नक्सलियों ने लिखा है कि सरकार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसके बजाय सैन्य अभियान बढ़ा दिए गए। इसके बावजूद पार्टी ने बदलती परिस्थितियों को देखते हुए हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि अब संगठन जनहित के मुद्दों पर अन्य राजनीतिक दलों और आंदोलनों के साथ मिलकर संघर्ष करेगा। नक्सलियों ने केंद्रीय गृह मंत्री या उनके नियुक्त प्रतिनिधि से सीधे वार्ता की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि पार्टी को राय बनाने के लिए साथियों और जेल में बंद कार्यकर्ताओं से सलाह-मशविरा करना होगा। इसके लिए एक माह का समय मांगा गया है। नक्सलियों ने सरकार से अपील की है कि इस दौरान तलाशी अभियान और हमले बंद किए जाएं। तभी शांति प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। फिलहाल सरकार की ओर से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि सुरक्षाबलों ने पिछले 15 दिनों में झारखंड और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 15 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है। 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *