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वैकल्पिक पशु चिकित्सा से कम खर्च पर आसानी से पशुओं की बिना किसी दुष्प्रभाव के चिकित्सा की जा सकती

भोपाल

पशुओं की वैकल्पिक पशु चिकित्सा पद्धति पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होटल पलाश रेसीडेंसी में 11 एवं 12 मार्च को पूर्वाह्न 10 बजे से होगा। प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग एवं मध्य प्रदेश राज्य पशु चिकित्सा परिषद के समन्वय से आयोजित इस कार्यशाला में दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के विषय विशेषज्ञ अभय महाजन, प्रमुख सचिव, पशुपालन एवं डेयरी उमाकांत उमराव, अध्यक्ष, वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया उमेश चंद्र शर्मा शामिल होंगे।

कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रदेश के पशु चिकित्सकों को तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाएगा। इसमें लगभग 110 प्रतिभागी सम्मिलित हो रहे हैं। कार्यशाला में वैकल्पिक पद्धति से पशुओं की चिकित्सा किए जाने संबंधी एक पॉलिसी बनाने का भी कार्य किया जाना है। इससे शासन द्वारा वैकल्पिक पशु चिकित्सा पद्धति को पशुओं की चिकित्सा के लिए प्रदेश में लागू किया जा सके ।

देश में आदिकाल से पारंपरिक एवं वैकल्पिक पशु चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता था। इसे पुनः पशुओं की चिकित्सा में बढ़ावा देने एवं जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह कार्य शाला आयोजित की जा रही है। वर्तमान में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के कारण मनुष्यों एवं पशुओं में जीवाणु रोधी दवाइयाँ के प्रति प्रतिरोधकता का बढ़ना महामारी का रूप ले रहा है, जो एक भयानक वैश्विक खतरा बनता जा रहा है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति से एवं एंटीबायोटिक के दुरुपयोग से इसका दुष्प्रभाव मनुष्य एवं पशुओं में देखा जा रहा है। इसके कारण एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की वैश्विक समस्या उत्पन्न हो गई है। इससे निपटने के लिये अल्टरनेट वेटरनरी प्रैक्टिस जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, पारंपरिक चिकित्सा, यूनानी चिकित्सा इत्यादि का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है, जिससे कम खर्च पर आसानी से पशुओं की बिना किसी दुष्प्रभाव के चिकित्सा की जा सकती है।

 

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